गणगौर घाट पर सैकड़ों महिलाएं करेंगी एक साथ तलवार घुमर

 गणगौर घाट पर सैकड़ों महिलाएं करेंगी एक साथ तलवार घुमर

राजस्थान साहित्य महोत्सव ‘आडावळ’ का आयोजन 5 नवंबर से

उदयपुर । लोक कला, साहित्य और संस्कृति को विश्वव्यापी मंच प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित हुए राजस्थान साहित्य महोत्सव ‘आडावळ’ का आयोजन 5 नवंबर से आयोजित किया जाएगा। संस्कार, संस्कृति के सरक्षंण के साथ राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने के उद्देश्य से विगत कई वर्षों से अनवरत आयोजित हो रहा अंतराष्ट्रीय राजस्थान साहित्य महोत्सव आडावळ हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अपने सतरंगी कलेवर बिखेरता नजर आएगा ।

राजस्थान साहित्य महोत्सव आडावळ के कार्यक्रम निदेशक डॉ. शिवदान सिंह जोलावास ने बताया कि 8 करोड़ राजस्थान वासियों के मां भाषा के सम्मान, राजस्थान की विरासत सभ्यता, संस्कृति को पूरी दुनिया मानती है तथा हमारी जिम्मेदारी उस परंपरा को जिंदा रखने की है। प्रदेश का कोई भी कलाकार गुमनामी के अंधेर में नहीं रहे खासकार दूरस्थ व जंगल में रहने वाले आदिवासी को उसकी वन पैदावार/ उपज का लाभ मिलता रहे, जंगली जडी-बूटी से चिकित्सा उपचार (गुणीजन) की विद्या का सामूहिक प्रसार हो। आदिवासी भील भीणा, सहरिया. गारासिया जनजाति की भाषा /बोली, कला (गीत-नृत्य), संस्कृति (उत्सव), पहनावे (गावा), खानपान आदि को समुचित मंच उपलब्ध करा अंतराष्ट्रीय पहचान दिलाना हमारा ध्येय है।

जोलावास ने बताया कि इस वर्ष “आडावळ” का आगाज विश्व प्रसिद्ध पारंपरिक लोकनृत्य घूमर गणगौर घाट पर सैकड़ो महिलाएं आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान के प्रतीक तलवार के साथ करेंगी । शनिवार शाम पांच बजे गणगौर घाट पर चित्रकला, संगीत, नृत्य एवं साहित्य के साथ कविता के कई सारे रंग एक ही कैनवास पर उकेरे जाएंगे। समारोह में शहर एवं गांव से सर्व समाज की महिलाएं, पुरुष उत्साह से प्रशिक्षण ले रहे हैं, चयनित प्रतिभाओं को गणगौर घाट पर प्रदर्शन का अवसर प्राप्त होगा ।

यह पहला अवसर हैं जब महिलाएं आत्मरक्षा के लिए एक संस्था द्वारा सामूहिक रूप से निशुल्क तलवारबाजी प्रशिक्षण लें रही हैं। प्रशिक्षण लेने वालों मे जैन, विप्र, क्षत्रिय एवं 36 कौम के सैकड़ों महिला- पुरुष प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं । कार्यक्रम संयोजक डॉ सीमा चंपावत, रिंकू चूंडावत, डॉ. डॉली मोगरा है । हेमेंद्र सिंह दवाणा, रेणु कुमावत “आडावळ” के प्रभारी रूप में सहयोग कर रहे हैं।

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