विश्व रंगमंच दिवस पर नाट्यांश कलाकारों की प्रस्तुतियों ने किया प्रभावित

 विश्व रंगमंच दिवस पर नाट्यांश कलाकारों की प्रस्तुतियों ने किया प्रभावित

नाट्यांश नाटकीय एवं प्रदर्शनीय कला संसथान के कलाकारों द्वारा विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर आज महाराष्ट्र भवन के गजेन्द्र सिंह भंडारी स्मृति हॉल में अन्तरंग रंगमंचीय गतिविधि का प्रदर्शन किया गया.

मनोरंजन के दृष्टिकोण से विश्व रंगमंच दिवस अपना खास स्थान रखता है. हर साल 27 मार्च के दिन विश्व रंगमंच दिवस का आयोजन किया जाता है. पूरे विश्व में रंगमंच को अपनी अलग पहचान दिलाने के लिए साल 1961 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान ने इस दिन की नींव रखी थी. इस दिन दुनिया के कई देशों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच या थियेटर से जुड़े हुए कलाकार कई समारोह का आयोजन करते हैं.

थियेटर के प्रति जागरुकता के लिए होता है आयोजन

दरअसल सिनेमा जगत के मनोरंजन के क्षेत्र में आधिपत्य जमाने से पहले रंगमंच या थियेटर ही लोगों के लिए एकमात्र मनोरंजन का साधन था. वहीं सिनेमा के साथ ही थियेटर के प्रति लोगों में जागरुकता और रूची पैदा करने के लिए हर साल विश्व रंगमंच दिवस का आयोजन किया जाता है.

प्रस्तुतियाँ इस प्रकार रही

संयोजक मोहम्मद रिज़वान मंसूरी ने बताया कि इस नाट्य सांध्य मे अलग-अलग कहानियों और नाटकों के अलग-अलग मोनोलॉग कि प्रस्तुति कि गयी जिसमें क्रमश: सबसे पहले महाकवि बोधायन द्वारा लिखित नाटक “भगवद्ज्जुकम” द्रिश्य कार्य किया हर्ष दुबे के द्वारा रामिलक का मोनोलॉग, यश शाकद्वीपीय एवम्‌ महावीर शर्मा द्वारा पात्र परिराजक और शांडल्य का एक द्रिश्य कार्य, इसी कड़ी में मृदुला गर्ग द्वारा लिखित नाटक दुलहन एक पहाड़ कि का द्रिश्य कार्य उर्वशी कवंरानी एवम्‌ आस्था नागदा द्वारा किया गया, भुवन जैन ने विनीत शर्मा द्वारा लिखित “दूर घाटी” कहानी का मंचन किया, जोमी जोजो ने मानव कौल द्वारा लिखित नाटक “पार्क” का मोनोलॉग किया और अन्त में रेखा सिसोदिया ने संजीव निगम द्वारा लिखित नाटक “अग्निशिखा” का मंचन किया.  

अगनिशिखा कुरूक्षेत्र के युद्ध के बाद की द्रोपदी की एकपात्रिय कहानी है. इस एकांकी नाटक में द्रौपदी की पीड़ा का द्रौपदी के स्वरों में वर्णन है. वो अपने पर लगे आरोपों का उत्तर देती है.

नाट्य संध्या के अन्त में नाट्यांश संस्था के सह संस्थापक मोहम्मद रिज़वान मंसूरी ने सभी दर्शकों और सह कलाकारों को विश्व रंगमंच दिवस कि बधाई दी एवम्‌ नाट्यांश के आगामी प्रदर्शनों, कार्यशालाओं और कार्यक्रमों के बारे में चर्चा की गयी, और बताया कि जल्द ही छोटे बच्चों के लिये रेगुलर क्लास का आयोजन किया जायेगा|

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