रंगमंच कार्यशाला में पहुंचे जयपुर के वरिष्ठ रंगकर्मी विशाल विजय
लेकसिटी की छिपी हुई कला प्रतिभाओं को तराशने के उद्देश्य से कश्ती फाउंडेशन द्वारा 1 जून से प्रारंभ हुई 15 दिवसीय ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशाला में वर्ष 2004 में एनएसडी से पासआउट जयपुर के वरिष्ठ रंगकर्मी विशाल विजय पहुंचे और यहां संभागियों को रंगमंच की बारीकियों से रूबरू करवाया।
कश्ती फाउंडेशन प्रमुख श्रद्धा मुर्डिया ने बताया कि भुवाणा स्थित थर्ड स्पेस में आयोजित हो रही इस कार्यशाला में संभागियों को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से वरिष्ठ रंगकर्मी विशाल विजय को आमंत्रित किया गया था। उन्होंने यहां मौजूद संभागियों को रंगमंच की विकास यात्रा के बारे में बताया और कहा कि भारत रंगमंच की जन्मभूमि है। रंगकर्म एक कलाकार की कठिन साधना है और उसमें निखार लाने के लिए कलाकार को नित्य अभ्यास की बेहद जरूरत होती है। उन्होंने इस मौके एक घंटे की विशेष क्लास भी ली और मौजूद प्रतिभागियों का परिचय लिया और उन्हें रंगमंच की बारीकियों से रूबरू करवाया।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में रंगमंच विषय पर सेवाएं दे रहे विशाल ने मास्टर क्लास में रंगमंच और समाज को जोड़ा। उन्होंने रंगमंच और समाज के अंतर्संबंध पर विस्तार से वार्ता दी। उन्होंने रंगमंच को दूसरी कला विधाओं से अलग बताया और इसके लिए किए जाने वाले प्रयासों के बारे में जानकारी दी।
कार्यशाला दौरान कश्ती फाउंडेशन की नित्या सिंघल ने अतिथि कलाकार का स्वागत किया और इस कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। प्रशिक्षण विशेषज्ञ व रंगकर्मी कुणाल मेहता व सुरेश पूनिया ने कार्यशाला में दिए जा रहे प्रशिक्षण के बारे में बताया वहीं ख्याति प्राप्त कलाकार कहानीवाला रजत ने भी संभागियों को कहानी के गुर सिखाएं। इस कार्यशाला में इशिता, धैर्य, आर्य,संविका,प्रवीण,संगीता,कृतिका आदि ने अपनी प्रस्तुति दी। कश्ती फाऊंडेशन के सुनील लड्ढा, हेमंत जोशी, संदीप राठौड़, चित्रकार राहुल माली, डॉ. चित्रसेन, नीलोफर मुनीर,बंटी सुथार, कबीर मेघवाल सहित बड़ी संख्या में कलाप्रेमी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि कार्यशाला के अंतिम दिन कार्यशाला के तहत तैयार किए गए नाटक का मंचन होगा।