स्पर्श वुमन हाॅस्पिटल: यूनिकोर्नुएट गर्भाशय से होने वाले असहनीय दर्द से मिला छुटकारा
उदयपुर । कई महिलाओं को माहवारी के दौरान पेट के निचले हिस्से में असहनीय दर्द की शिकायत रहती है लेकिन ज्यादातर इसे सामान्य मान लेती हैं। महिलाओं में प्रजनन अंगों से जुड़ी कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
महिला के शरीर में गर्भाशय से संबंधित कुछ विकार हैं जिस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है। उदयपुर में दो केस सामने आए हैं जिसमें दोनों मरीजों में यूनिकोर्नुएट गर्भाशय (unicornuate uterus) यानि दो भागों में विभाजित, एक भाग विकसित और दूसरा अविकसित तथा बाहर की ओर रास्ता नहीं होने की समस्या थी, जिससे माहवारी में असहनीय दर्द की शिकायत रहती थी तथा अवशेष गर्भाशय मंे खून की गांठे बन गयी थी।
दोनों मरीजों की समस्या हर माहवारी के साथ बढ़ती जा रही थी, अन्य परेशानियों के साथ भविष्य मंे निःसंतानता की समस्या भी हो सकती थी। केस की गंभीरता को देखते हुए मरीजों के अवशेष गर्भाशय को स्पर्श वुमन हाॅस्पिटल में लेप्रोस्काॅपी के माध्यम से सफलता पूर्वक बाहर निकाल दिया गया, अब दोनों मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं और भविष्य में माँ भी बन सकती हैं।
स्पर्श वुमन हाॅस्पिटल की डायरेक्टर, सीनियर गायनेकोलाॅजिस्ट और लेप्रोस्काॅपिक सर्जन डाॅ. मोनिका शर्मा ने बताया कि महिला के गर्भाशय के दो भागों में विभक्त होना सामान्य घटना नहीं है पूरी दुनिया में 1 लाख महिलाओं में से एक महिला में यह समस्या सामने आती है ।
प्हली मरीज 15 वर्षीय किशोरी जब अस्पताल में आयी तब उसे डेढ़ साल से पीरियड्स आरहे थे और शुरू से ही अत्यधिक रक्त स्त्राव और असहनीय दर्द की शिकायत थी लेकिन दर्द का कारण पता नहीं चल रहा था । हाॅस्पिटल में सोनोग्राफी में पता चला कि गर्भाशय में कुछ जन्मजात विकृति है और एमआरआई में गर्भाशय (दो भागों में विभाजित, एक विकसित व एक अविकसित) होने की पुष्टि हुई जिसमें आधा भाग विकसित था और आधा भाग यूनिकोर्नुएट यूट्रस के साथ अवशेष के रूप में था जिसमें माहवारी के दौरान रक्त जमा हो जाता था और बड़ी गांठ बन गयी थी।
किशोरी की समस्या को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित, सरल और सफल सर्जरी लेप्रोस्काॅपी करने का निर्णय लिया गया। इस प्रक्रिया में नाभी के पास एक छोटा सा चीरा लगाकर दूरबीन और उपकरणों को पेट में डाल कर सर्जरी की जाती है। लेप्रोस्काॅपी के द्वारा अवशेष गर्भाशय को निकाल दिया गया, अब मरीज को इस दर्द से छुटकारा मिल गया है सामान्य गर्भाशय के साथ किशोरी भविष्य मंे प्राकृतिक रूप से माँ भी बन सकती है।
दूसरा मामला 25 वर्षीय युवती का है उसे भी यही समस्या थी और पिछले पांच साल से इधर-उधर उपचार और एक बार सर्जरी के बाद भी सफलता नहीं मिली थी। अवशेष गर्भाशय में लम्बे समय से रक्त इकट्ठा होने के कारण गांठ बड़ी हो गयी थी और आसपास के अंग भी उससे चिपक गये थे ।
युवती की समस्या को देखते हुए लेप्रोस्काॅपी करके यूनिकोर्नुएट यूट्रस को निकाल दिया गया है । प्रक्रिया के बाद मरीज को 24 घंटे बाद हाॅस्पिटल से छुट्टी भी दे दी गयी। अभी दोनों मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अपनी दिनचर्या के काम आसानी से कर रही हैं।
डाॅ. मोनिका शर्मा बताती हैं कि महिलाओं को गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं को लेकर जागरूक होने की आवश्यकता है।