एण्डोविजन 2022 में मरीजों पर हुई लाईव थ्री डी एडवांस गायनी लेप्रोस्कॉपी

 एण्डोविजन 2022 में मरीजों पर हुई लाईव थ्री डी एडवांस गायनी लेप्रोस्कॉपी

कार्यशाला और सिम्पोजियम में जुटे करीब 100 स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ

आज का युग को चिकित्सा के क्षेत्र में नवाचार का युग कहा जाना चाहिएए जटिल से जटिल समस्याओं का भी निदान चिकित्सा विज्ञान में संभव हो रहा है। कुछ वर्षों पहले तक स्त्री एवं प्रसूति रोग संबंधी समस्याओं में सर्जरी करने के लिए चीरफाड़ करने वाली जटिल शल्य चिकित्सा होती थी लेकिन अब बिना किसी चीर फाड़ के सफल ऑपरेशन संभव हो गये हैं जो अधिक सफल भी हैंए ये विचार उदयपुर में चल रहे स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की एण्डोविजन में सामने आए।

स्पर्श वुमन हॉस्पिटल और उदयपुर ऑब्स्टेट्रिक्स एण्ड गायेनेकोलॉजी सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में कार्यशाला और सिम्पोजियम का आयोजन किया गया जिसमें महाराष्ट्र, गोवा, जयपुर सहित देशभर के करीब 100 चिकित्सकों ने हिस्सा लिया।

कार्यशाला के दौरान दक्षिणी राजस्थान के इतिहास में पहली बार मरीजों पर सफलतापूर्वक लाईव थ्री डी एडवांस गायनी लेप्रोस्कॉपी की गयीए जिसमें मरीज के गर्भाशय में कैंसर की गांठ की सर्जरी भी शामिल है। मरीजों की लाईव लेप्रोस्कॉपी डॉ, नितिन गोरपडे, डॉ, मोनिका शर्मा और डॉ, विक्रम दुकले द्वारा की गयी। अब उदयपुर में महिला शल्य चिकित्सा के लिए थ्री डी एडवांस गायनी लेप्रोस्कॉपी उपलब्ध होगी।

आयोजन चेयरपर्सन और स्पर्श वुमन्स हॉस्पिटल की डायरेक्टर एवं गायनिक लेप्रोस्कॉपिक सर्जन डॉ, मोनिका शर्मा ने बताया कि एण्डोविजन 2022 के पहले चरण में पांच मरीजों की जटिल समस्याओं में सफलतापूर्वक थ्री डी लेप्रोस्कॉपी उपचार किया गया। कैंसर के रोगियों को भी एडवांस थ्री डी लेप्रोस्कॉपी से लाभ हो सकता है। एक 65 वर्षीय मरीज जिसकी बच्चेदानी में कैंसर की गांठ थी, उसकी भी लेप्रोस्कॉपी यहां की गयी, उपचार में उसकी गांठ को निकाल दिया गया है।

इस उपचार प्रक्रिया में मरीज के पेट पर केवल एक या दो छोटे.छोट चीरे लगाए जाते हैं और पूरी प्रक्रिया सरलतापूर्वक की जाती है। उदयपुर संभाग के मरीजों के लिए अच्छी बात ये है कि उदयपुर में इस तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो रही है। एक अन्य केस में युवती के गर्भाशय से बहुत बड़ा फाईब्रोइड निकाला गयाए मरीज को माहवारी में अत्यधिक दर्द और अधिक रक्तस्त्राव की शिकायत थी। फाईब्रोइड के कारण से फर्टिलिटी संबंधी समस्या हो सकती थी।

यूओजीएस अध्यक्ष डॉ प्रकाश जैन ने बताया कि दो मरीजों को माहवारी के अलावा हर समय रक्तस्त्राव की समस्या थी, कई जगह उपचार के बाद भी उन्हें लाभ नहीं हो पा रहा था. ऐसे में इस कार्यशाला के दौरान उनकी थ्री डी लेप्रोस्कॉपी की गयीए दोनों की समस्या की गंभीरता का पूर्ण समाधान करने के लिए गर्भाशय निकाले गये हैं और उन्हें चौबीस घंटे बाद छुट्टी दे दी जाएगी।

यूओजीएस सचिव डॉ प्रदीप बंदवाल ने बताया कि एक मरीज को गर्भावस्था के दौरान अण्डाशय में गांठ के बारे में पता चलाए मरीज को चार माह की गर्भावस्था है उसकी प्रेगनेंसी को नुकसान पहुंचाए बिना उसकी लेप्रोस्कॉपी की गयी. सर्जरी के बाद महिला के अण्डाशय का सेम्पल बायोप्सी के लिए भेजा गया। सभी मरीजों अभी बिल्कुल स्वस्थ हैं और उन्हें जल्दी घर भेज दिया जाएगा। कार्यशाला से चिकित्सकों को उपचार की नवीन तकनीकियों के बारे में जानने का अवसर मिला है।

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