मेडिकल साइंस का करिश्मा – बिना माहवारी महिला को मिला संतान सुख
• आईवीएफ द्वारा मिला मातृत्व सुख
• स्पर्श वुमन हॉस्पिटल में हुआ उपचार
उदयपुर। निःसंतानता की स्थिति में महिला के आंतरिक दर्द को समझना बहुत मुश्किल है। किसी समस्या के कारण गर्भधारण नहीं होने पर महिला द्वारा यह मान लिया जाता है कि कभी संतान प्राप्ति नहीं होगी। आज के इस तकनीकी युग में सही समय पर एक्सपर्ट राय, जांच और उचित इलाज करवाए जाए तो इनफर्टिलिटी की जटिल समस्याओं में भी संतान सुख मिल सकता है।
ऐसा ही एक अनूठा मामला उदयपुर में सामने आया है जिसमें एक महिला का अण्डाशय और गर्भाशय छोटा तथा कभी माहवारी नहीं आने के बावजूद संतान सुख प्राप्त हुआ है। यह चमत्कार मेडिकल साइंस की तकनीक और कुशल चिकित्सीय परामर्श से ससंभव हो सका.
महिला का सफल उपचार भूपालपुरा स्थित स्पर्श वुमन हॉस्पिटल (Sparsh Women Hospital) में किया गया, स्पर्श वुमन हॉस्पिटल की डायरेक्टर एवं सीनियर गायनिक, आईवीएफ एक्सपर्ट एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. मोनिका शर्मा ने बताया कि हमारे देश में इस तरह के केस बहुत कम महिलाओं में सामने आते हैं। इस तरह के केसेस में प्रेगनेंसी के बाद गर्भपात और प्री मैच्योर डिलीवरी का जोखिम भी रखता है।
डॉ. मोनिका ने बताया कि महिला की उम्र 33 वर्ष की थी और उसे आज तक कभी माहवारी नहीं आयी थी इस कारण वो निःसंतानता एवं हीन भावना से प्रभावित थी। हॉस्पिटल में जांच करने पर छोटे सिकुड़े हुये अण्डाशय, छोटा गर्भाशय और हार्मोन नहीं बनना सामने आया। इस तरह के केसेज में आईवीएफ बेहतर उपचार विकल्प साबित हो सकता है। मरीज की केस हिस्ट्री देखते हुए आईवीएफ करने का फैसला किया गया।
ठीक 9 महीने के बाद महिला ने एक स्वस्थ बेबी बॉय को जन्म दिया. दोनों माँ और शिशु बिलकुल स्वस्थ है.
डॉ. मोनिका ने बताया कि उपचार प्रोटोकॉल के तहत पहले गर्भाशय के आकार को बढ़ाकर सामान्य करने के लिए हार्मोनल ट्रीटमेंट के तहत दवाइयां और इंजेक्शन दिये गये। महिला के पति में निःसंतानता संबंधी समस्या नहीं थी, चूंकि स्वयं के अण्डे नहीं थे इसलिए डोनर एग और पति के शुक्राणु उपयोग में लेकर आईवीएफ प्रोसेस किया गया जिससे अच्छी क्वालिटी का भ्रूण बना, इसे मरीज के गर्भाशय में ट्रांसफर किया गया । पहली आईवीएफ साइकिल में ही सफलता मिल गयी और प्रेगनेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गयी।
बिना समस्या के पूर्ण नौ माह की प्रेगनेंसी सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद मरीज ने एक स्वस्थ संतान को जन्म दिया। डॉ.मोनिका ने बताया कि आईवीएफ का उद्देश्य सिर्फ प्रेग्नेंसी तक सीमित नहीं है, खासकरके इस तरह के केसेस में महिला को गर्भधारण के बाद विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। पूरी गर्भावस्था के दौरान मरीज़ की हर समस्या को देखते हुए समाधान दिया गया इसलिए आज उसकी गोद में स्वस्थ संतान है।
आज के आधुनिक तकनीकी युग में कभी माहवारी नहीं आयी हो, अनियमित हो या मिनोपॉज हो गया है इसके बावजूद संतान सुख संभव है।