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महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय की 332वी जयंती मनाई

 महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय की 332वी जयंती मनाई

महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह जी द्वितीय की 332वीं जयंती मनाई गई। महाराणा संग्राम सिंह जी द्वितीय का जन्म विक्रम संवत् 1747 को वैशाख कृष्ण की षष्ठी को हुआ था। सिटी पेलेस स्थित राय आंगन में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया गया तथा आने वाले पर्यटकों को मेवाड़ में उनके योगदान की जानकारी दी गई।

इस अवसर पर फाउण्डेशन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने मुगल बादशाह बहादुरशाह की मृत्यु के बाद फर्रुखसियर ने जजिया कर लगा दिया जिसका महाराणा ने विरोध किया। बादशाह अकबर के समय मेवाड़ से रामपुरा परगना निकल गया था, जिसे महाराणा ने वापस जीतकर मेवाड़ में मिला दिया था।

महाराणा की बहन चन्द्रकंुवरी का विवाह जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के साथ हुआ था। महाराजा सवाई जय सिंह ने जयपुर में उनके लिए सिसोदिया रानी का बाग बनवाया था।

महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने उदयपुर के राजमहल में त्रिपोलिया निर्माण करवाया था।

महाराणा ने नाहर मगरे में महल, उदयपुर के महलों में चीनी की चित्रशाली (दीवारों में पोर्चुगीजों से लाई हुई रंगीन चीनी ईंटें लगी हुई हैं), जगमंदिर में महल व दरीखाने, महासत्याजी में अपने पिता महाराणा अमर सिंह जी द्वितीय की दाहस्थली पर विशाल छत्री, सहेलियों की बाड़ी आदि कई सुप्रसिद्ध निर्माण करवाए।

यही नहीं महाराणा ने उदयपुर का प्रसिद्ध शीतला माता जी का मंदिर एवं पीछोला तालाब के पश्चिम में सीसारमा गांव में वैद्यनाथ महादेव का विशाल मंरि निर्माण करवाया। जिसकी प्रतिष्ठा वि.सं. 1772 माघसुदि 14 गुरुवार को करवाई। इस मंदिर का निर्माण मातृभक्त महाराणा ने अपनी माता देव कुंवरी जी के कथनानुसार करवाया था। प्रतिष्ठा के सुअवसर पर राजमाता ने रजत तुलादान किये और लाखों रुपये व्यय किये। इस समारोह में कई राज्यों के राजा व प्रतिष्ठित जन उपस्थित हुए थे।

महाराणा की दानशिलता के चलते उन्होंने ब्राह्मणों आदि को कई दान-गांव-गौ आदि भेंट किये।

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