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लॉकडाउन में अनलॉक हुआ स्टार्ट-अप का आईडिया: चार दोस्तों ने बना दिया, बिना पानी का खेत

 लॉकडाउन में अनलॉक हुआ स्टार्ट-अप का आईडिया: चार दोस्तों ने बना दिया, बिना पानी का खेत

कोरोना की वैश्विक महामारी में लॉक डाउन के चलते जहाँ आर्थिक संकट से गिरे कई युवाओं में अपने करियर को लेकर नेगटिव सोच आगई है, वही कुछ ऐसे युवा भी है जो मुश्किल परिस्थतियों में भी अपोरचुनीटी खोज लेते है.ऐसी ही कुछ इन्स्पीरेशनल कहानी है उदयपुर के चार दोस्त, रोनक इंटोदिया, विक्रम त्रिवेदी, दिव्य जैन और भूपेन्द्र जैन की, जिन्होंने लॉक डाउन में अपने ठप्प पड़े व्यवसाय की वजह से नकारात्मक होने के जगह एक सकारात्मक पहल की, और शुरू किया “बेक टू रूट्स”, एक हायड्रोपोनिक कल्टीवेशन, जिससे उनके लिए रोज़गार के नए आयाम तो शुरू हुए ही, कई और लोगो के प्रेरणास्त्रोत भी बन गए.

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पहले जानिए क्या होता है हायड्रोपोनिक कल्टीवेशन?

हायड्रोपोनिक कल्टीवेशन में खेती के लिए मिट्टी की ज़रूरत नहीं होती, यह पूरी तरह पानी से ही की जाती है, इसलिए न इसके लिए उपजाऊ मिट्टी चाहिए, न बहुत बड़ी ज़मीन. एक पौधे को रोपने से लेकर बढे करने तक का पूरा प्रोसेस प्लास्टिक कप में ही होता है इसके नीचे पाइप लाइन होती है जिससे ज़रूरत मुताबिक पानी मिलता रहता है. सभी कप A की आकार की फ्रेम में एक कतार से रखे जाते है.

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क्या उग रहा है इस बिना मिट्टी के खेत Back to Roots पर?

“Back to Roots” पर आपको ताज़ा ओक लेट्युस, पाक-चोय, बेल पेपर, बेसिल और ब्रोकली जैसी सब्जियां मिल जाएगी, अक्सर यह सब्जियां उदयपुर में विदेशी टूरिस्ट डिमांड करते है, और यह बाहर से ही आती है, पर अब इसकी अवैल्ब्लिटी उदयपुर में होने से इसके दाम, डिलीवरी समय और प्रोडक्शन सब तरह से फायदा होगा.

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फाउंडर्स की कहानी

रोनक, विक्रम, दिव्य और भूपेन्द्र सभी अलग-अलग बैकग्राउंड से है, रोनक एक रेस्टोरेंट के मालिक है, दिव्य की टूर कंपनी है, भूपेंद्र वुड रेजिन में डील करते है वही विक्रम एक आर्किटेक्ट है, लॉक डाउन की वजह से चारो किसी ने किसी तरह प्रभावित हुए, जब भी एक साथ मिलते तो भविष्य को लेकर डिस्कशन करते रहते, तभी इस फ्यूचर फार्मिंग का आईडिया आया और कुछ ऑनलाइन रिसर्च करने के बाद हायड्रोपोनिक कल्टीवेशन के बारे में पता चला. फिर क्या था, अपनी ही ज़मीन पर शहर से कुछ दूर डाकन कोटडा पर श्हुरु कर दी हायड्रोपोनिक कल्टीवेशन फार्मिंग. और फार्मिंग के लिए इन्होने उन सब्जियों को चुना जिसकी डिमांड होटलों, रेस्टोरेंट्स में है जहाँ विदेशी टूरिस्ट ज्यादा आते है.

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आटोमेटिक है पूरा फार्मिंग सिस्टम

इस खेती में सबसे ज्यादा ज़रूरी है सही तापमान और कैलक्यूलेटेड यानी सही मात्रा में पानी, दोनों ही चीज़े बिलकुल मानव रहित तरीके से कंट्रोल की जाती है. पौधों को 27 से 30 डिग्री तापमान चाहिए जिसके लिए पैनल सेट है, यदि तापमान बढे या कम हो जाये तो पैनल कूलिंग को ओन या ऑफ कर देता है. और पौधों को ड्रिप सिस्टम से पानी दिया जाता है इसलिए न कभी सूखने की चिंता होती है न इनके गलने का टेंशन. सिर्फ तापमान ही नहीं, नमी भी पूरी तरह आटोमेटिक ही कंट्रोल की जाती है.

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कोई भी कर सकता है हायड्रोपोनिक कल्टीवेशन

• छोटे स्केल पर यह फार्मिंग घरो में, छतो पर आदि की जा सकती है

• अनाज और सब्जियों के पौधे हफ्ते भर में तैयार हो जाते है

• पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं होता

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बेक टू रूट्स की सफलता के बाद, इसको और विकसित करने का प्लान बन चुका है, अब यहाँ एक सोलर प्लांट लगेगा जिससे बिजली का खर्च भी बच जायेगा.बेक टू रूट्स की टीम अब आम जनता को इस फार्मिंग से जागरूक करना चाहती है, और जो भी हायड्रोपोनिक कल्टीवेशन करना चाहे वह इनकी सहायता या सुझाव ले सकता है.

संपर्क करे 9079689090, 9079685450, 8000596804

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