कैसे इन मास्टरजी ने बदल दी उदयपुर के एक सरकारी स्कूल की सूरत  

 कैसे इन मास्टरजी ने बदल दी उदयपुर के एक सरकारी स्कूल की सूरत  

नहीं, यह कोई प्राइवेट नहीं है, बल्कि सामान्य सा सरकारी विद्यालय है पर एक बात ज़रूर है जो इस स्कूल को ख़ास और असामान्य बनाती है, वह है यहाँ का एक शिक्षक जिसने अपनी मेहनत, लगन और जज्बे से इस स्कूल की कायापलट कर दी.

यह कहानी है राजस्थान के उदयपुर ज़िले के लखावली पंचायत समिति बड़गाँव में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भीलवाड़ा की और इसके एक अध्यापक किशन दान उज्ज्वल की. मास्टरजी किशन दान पिछले 7 वर्षो से न सिर्फ इस विद्यालय मे पढा रहे है बल्कि इससे सटे गाँव में बच्चो और अभिभावकों को  शिक्षा की महत्वता को लेकर निरंतर जागरूक कर रहे है.

यह किशन दान उज्जवल की ही मेहनत और जज्बा है जिसने इस सरकारी विद्यालय को किसी प्राइवेट स्कूल से भी बेहतर संसधान और सुविधाएँ मुहिया करवा दी और साबित कर दिया कि चाह को राह मिल कर ही रहती है. इसलिए आज यह सरकारी विद्यालय चमचमा रहा है, आरओ द्वारा पीने के पानी से लेकर स्मार्ट फर्नीचर, रंगबिरंगी दीवारें, साफ़ सुथरे आधुनिक टॉयलेट, कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी, और खेलने के लिए झूले आदि कई तरह की सुविधाएं इस स्कूल में देखने को मिल जाएँगी.

अध्यापक किशन दान उज्ज्वल बताते है, “मैं इस विद्यालय में 2016 से सेवा दे रहा हूँ, जब मैं पहली बार यहाँ आया था तब स्थिति देख कर काफी हताशा हुई. विद्यालय में पूर्ण नामांकन होने के बाद भी विद्यार्थियों का अनियमित विद्यालय आना सबसे बड़ी चुनौती थी.”

“सहकर्मियों के साथ घर घर जाकर संपर्क किया तो बहुत ही दयनीय स्थिति सामने आयी, स्थानीय लोगो की सोच और विचार सुनकर बहुत दुख हुआ था, किसी के कथन थे कि पढ़कर क्या करेंगे करनी तो मज़दूरी ही है, तो कही बच्चे अपने छोटे भाई बहन की देख रेख करने के कारण तो कही बच्चे जानवरो को चराने के कारण विद्यालय नहीं आ पाते, कहीं परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से बाल मज़दूरी पर लग जाते.”

इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए किशन दान ने अपने साथी स्टाफ की सहयता से घर घर जा कर लोगो को जागरूक किया. “जब अभिभावक अपने बच्चो को स्कूल भेजने के लिए तैयार हुए तो दूसरा चैलेंज था संसाधन, सरकारी बजट पर वह काम नहीं हो सकता था जो हम चाहते थे तो भामाशाहो से संपर्क किया, पास ही स्थित एक रिसोर्ट में एक यूरोपियन पर्यटक ने 1.5 लाख रुपयों की सहायता की जिससे बच्चों के लिए स्मार्ट फर्नीचर ख़रीदा.”

किशन दान ने कहा “फिर धीरे धीरे कई तरह के संसाधनों से स्कूल को एक नया रूप दिया, बच्चो का भी मन लगने लगा, हमारी कोशिश देख अभिभावकों ने भी साथ दिया और आज अटेंडेंस भी पहले से कई बेहतर है. हमने स्मार्ट फर्नीचर, आधुनिक टॉयलेट, कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी कई सुविधाएं लगा दी अब ट्री गार्ड की ज़रूरत है, हर बार पेड़ लगाते है पर ट्री गार्ड न होने के कारण पौधों को मवेशी खा जाते है.  

जैसलमेर के पोकरण निवासी किशन दान 1 से 5 तक के बच्चों को सभी विषयों का अध्यापन करवाते है और कक्षा 6 से 8 के बच्चों को गणित पढ़ते है.

नवाचार के साथ शिक्षा की अलख जागते किशन दान उज्जवल इस गाँव के कई घरो में उजाला कर रहे है, इनकी दी गई इस रौशनी से निश्चित ही इन बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा.   

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