एमपीयुएटी मे संचालित हुआ राजस्थान का पहला कृषि ड्रोन
कृषि में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए iifl ने ब्लू इन्फिनिटी फाउंडेशन के साथ मिल कर उदयपुर के कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के लिए विशेष रूप से एक कृषि ड्रोन बनाया है.
इंजीनियरिंग का यह अद्भुत नमूना खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करने, दुर्गम क्षेत्रों में संसाधनों को पहुंचाने और समग्र उपज में सुधार के लिए आवश्यक तकनीको को विकसित करने के लिए तैनात किया जाएगा. बताया गया है कि इसकी ड्रोन की लागत 30 लाख रुपये है. यह राजस्थान में अपनी तरह का पहला तकनीकी नवाचार है.
डिजिटल लैब प्रभारी डॉ सुनील जोशी ने बताया कि 2 मीटर व्यास के इस ड्रोन मे लगभग 20-25 किलो पे लोड ले कर कार्य करने की क्षमता है, इसमे 6 आर्म्स, 6 पंखो और 3 स्प्रे नोज़ल लगे है जिन्हे आसानी से रिमोट द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है.
एमपीयूएटी के संगठन महाविद्यालय सीटीएई के इंस्ट्रक्शनल फार्म में विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़, मधु जैन, निदेशक आईआईएफएल फाउंडेशन, डॉ लखन पोसवाल, प्रिंसिपल, आरएनटी मेडिकल कॉलेज और एसओसी सदस्यों द्वारा आज 26 मई को प्रातः 10.00 बजे आयोजित कार्यक्रम मे इसका अवतरण किया गया.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि वैज्ञानिक एवं विश्वविद्यालय संकल्प बद्ध हैं इस दिशा में तकनीकी नवाचारओं को अपनाने एवं उसका लाभ किसानों तक पहुंचाने के प्रयास एमपीयुएटी द्वारा समय-समय पर किए जाते रहे हैंl
उन्होंने कहा कि इस दिशा में पहल करते हुए हमने विश्वविद्यालय में डिजिटल प्रयोगशाला भी स्थापित की है जिसके माध्यम से अनेक तकनीकी नवाचार खेती में किए गए हैं जिसका लाभ हमारे क्षेत्र के किसान उठाते हैंl इस प्रयोगशाला मे रोबोट के अलावा औग्मेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, सेंसर आधारित उपकरण स्थापित किये गये हैं, इसी कड़ी में कृषि ड्रोन का प्रयोग खेती-बाड़ी में किया जाएगा जिससे प्रारंभिक रूप से हम फसलों में कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं उन्होंने कहा कि यह सुविधा क्षेत्र के किसानों के लिए निशुल्क उपलब्ध रहेगीl
आईआईएफएल की निदेशक मधु निर्मल जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि उनका समूह पहली पीढ़ी के उद्यमियों द्वारा प्रवर्तित भारत में सबसे बड़े वित्तीय सेवाओं के समूह में से एक है।
आईआईएफएल फाउंडेशन की गतिविधियां स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और गरीबी उन्मूलन की विचारधारा के माध्यम से समुदायों के बीच प्रभाव पैदा कर रही हैं। गतिविधियां संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों – गुणवत्ता शिक्षा, लिंग समानता, स्वास्थ्य और कल्याण और सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये की जाती हैं।
कोविड के दोरान हो चुका है सफल परीक्षण:
2021 के दौरान, जब नागरिकों ने कोविड -19 के खिलाफ टीके की अपनी खुराक का लाभ उठाने के लिए कतारों मे खड़े थे तब आईआईएफएल फाउंडेशन ने ब्लू इनफिनिटी फाउंडेशन का समर्थन किया ताकि उन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को टीके पहुंचाने के लिए एक ‘ड्रोन’ विकसित किया जा सके, जहां सड़क मार्ग से पहुंचना मुश्किल था।
इस दिशा मे सफल कदम उठाते हुए एक परियोजना स्वास्थ्य मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार की साझेदारी में महाराष्ट्र के पालघर जिले में शुरू की गई थी।
ड्रोन आधारित वैक्सीन वितरण प्रणाली ने अपनी प्रत्येक उड़ान के दौरान 300 वाईयल वितरित करने में मदद की। यह 5 किग्रा पेलोड क्षमता के साथ भारत का पहला ऐसा नवाचार बन गया और 25 किमी के दायरे में काम कर रहा है, जो जीवन रक्षक टीकों को जल्द से जल्द वितरित करता है।
आईआईएफएल फाउंडेशन की ड्रोन द्वारा वैक्सीन डिलीवरी को प्रतिष्ठित विश्व सीएसआर कांग्रेस (2022) में ‘कोविड -19 के लिए सबसे नवीन समाधान’ का पुरस्कार मिला है। दुबई एक्सपो 2022 में यह परियोजना चर्चा का विषय थी और कई एशियाई, यूरोपीय और अफ्रीकी सरकारें संबंधित अधिकारियों की अनुमति से इसे दोहराना चाहती हैं।
प्रो लतिका व्यास ने कार्यक्रम का संचालन किया.