भारत में हार्ट अटैक के बाद दूसरी बार अटैक की संभावना 3 से 6 गुना – डॉ. अमित खण्डेलवाल

 भारत में हार्ट अटैक के बाद दूसरी बार अटैक की संभावना 3 से 6 गुना – डॉ. अमित खण्डेलवाल

प्राथमिक स्तर पर रोकथाम व नवाचारों को अपनाने के साथ हृदय रोग विशेषज्ञों का सम्मेलन सम्पन्न

उदयपुर। हृदय रोगों का संबंध डायबिटिज से भी होता है । डायबिटिज वाले मरीजों में हृदय रोग की संभावना अधिक रहती है लेकिन सुगर को नियन्त्रित किया जाए तो हृदय रोगों से बचाव संभव है।

उदयपुर में दो दिवसीय हृदय रोग विशेषज्ञों के राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हृदय रोगों से बचाव के लिए डायबिटिज और कॉलेस्ट्रोल को नियन्त्रित करने के प्रति जागरूकता लाने के नये उपायों को अपनाने पर जोर देने के साथ हुआ।  स्वस्थ हृदय के लिए कार्डियोलॉजी में नवाचारों को सार्वजनिक करना थीम पर आयोजित सम्मेलन में चिकित्सकां ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी जरूरी है। हार्ट एंड रिदम सोसायटी की ओर से आयोजन चेयरमैन डॉ. अमित खण्डेलवाल के नेतृत्व में पांचवी कार्डियक समिट सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई।  

आयोजन चेयरमैन डॉ. अमित खण्डेलवाल ने बताया कि दूसरे दिन मुख्य रूप से हार्ट अटैक व हार्ट फैल्योर पर विशेषज्ञों ने विचार रखे। अन्य देशों में एक बार हार्ट अटैक के बाद दूसरे अटैक की संभावना दुगुनी है वहीं भारत में 3 से 6 गुना तक रहती है क्योंकि मरीज एंजियोप्लास्टी या अन्य उपचारों के बाद दवाइयां लेना बंद कर देते हैं।

एम्स नई दिल्ली के डॉ. संदीप मिश्रा ने हार्ट अटैक की स्थिति में मरीज को तुरन्त अस्पताल लाने और उपचार शुरू करवाने पर बल देते हुए कहा कि जरूरत होने पर खून पतला करने की दवाई दी जानी चाहिए इसके अलावा प्राईमरी एंजियोप्लास्टी श्रेष्ठ विकल्प है साथ ही उन्होंने कहा कि एंजियोप्लास्टी में नवीन आईवीयूएस, केल्शियम रोटाब्लेशन जैसी तकनीकों को अपना कर सफलता प्राप्त की जा सकती है।

नई दिल्ली के डॉ. मोहित गुप्ता ने जीवनशैली में बदलाव व मानसिक स्वास्थ्य पर अपने विचार रखते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर और मन के लिए तनाव मुक्त रहना चाहिए है।

कोकिला बेन हॉस्पिटल मुम्बई के डॉ. प्रवीण कहाले ने हार्ट फैल्योर में नवीनतम दवाइयों के उपयोग के सकारात्मक पहलू बताए और कहा कि पारम्परिक विधियों की तुलना में नवीन उपचारों से अधिक लाभ हो सकता है साथ ही हार्ट फैल्योर की स्थिति में आयरन थैरेपी की भूमिका और लाभ पर विचार प्रस्तुत किये । 

जयपुर के डॉ. संजीव सिडाणा और दीपेश अग्रवाल ने सम्मेलन के निष्कर्ष में बताया कि लाइफ स्टाइल के कारण मोटापा, डाइबिटिज और हार्ट डिजिट बढ़ रही है। ऐसे में इसके उपचार के लिए नयी दवाओं का प्रयोग बढ़ाना चाहिए । विशेषज्ञों ने कहा कि मोटापे का बचाव दवाओं के माध्यम से किया जा सकता है । इसकी कुछ दवाइयां ऐसी भी हैं जो डायबिटिज के साथ हार्ट व ब्रेन की बीमारियों से निजात दिलवा सकती है। चिकित्सक मरीजों की हार्ट डिजिज की प्राथमिक अवस्था  में उचित काउंसलिंग करें तो उपचार संभव है।

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