ट्राफिक पुलिस को करने होंगे नवाचार, जनता को समझनी होगी ज़िम्मेदारी
भारत के अन्य शहरों के साथ विश्व प्रसिद्ध उदयपुर भी विकसित हो रहा है, जहाँ जिस शहर में विकास होता है वहां उससे सम्बंधित कई चुनौतियाँ भी होती है, ऐसी ही एक चुनौती है उदयपुर शहर में सडको पर ट्राफिक का दबाव और उस पर यातायात नियमो का उल्लंघन करने वालो की रोकथाम.
इसी के साथ पुलिस विभाग को अपने कर्मियों द्वारा भ्रष्टाचार को भी रोकना होता है और छोटा शहर होने के कारण नियमो का उल्लंघन करने वालो द्वारा सिफ़ारिशे लगा कर बचना भी किसी समस्या से कम नहीं.
हाल ही में उदयपुर पुलिस द्वारा गांधीगिरी के माध्यम से जनता से सड़क पर यातायात नियमो की पालना करने के लिए विनम्र अपील की गई, चॉकलेट और फूल दे कर समझाइश की गई पर क्या यह तरीका कारगर होगा?
यातायात पुलिस से जनता को कई शिकायते है, जैसे यातायात नियमो का उल्लंघन करने वालो के खिलाफ सख्ती सिर्फ कुछ दिनों के लिए होती है, बाकि समय सडको चौराहों पर खुले आम उल्लंघन होता है, सिग्नल तोडना आम है, ज़्यादातर लोग बिना हेलमेट होते है. पुलिस पर हमेशा टारगेट पूरा करने के लिए चालान काटने के आरोप लगते आये है, और जिनकी पहचान होती है वे सिफ़ारिशे लगा कर बच जाते है.
दूसरी तरफ आम जनता के असहयोग से पुलिस भी खफा है, पुलिस का कहना है “यह जनता की भी जम्मेदारी है कि कानून का पालन करें, न खुद कानून तोड़े न किसी और पर कानून तोड़ने का दबाव बनायें.”
अक्सर पुलिस के पकड़े जाने पर लोग खुद साम दाम दंड भेद अपना कर बचने की कोशिश करते है, पहले कुछ भी झूठ बोल कर, मज़बूरी बता कर, फिर पहचान दिखा कर, फिर किसी से सिफारिश करवा कर या फिर रिश्वत देने की कोशिश कर के.
जनता और पुलिस के इन्ही आरोप प्रत्यारोप के बीच हमें समस्या का निवारण करने के उपाय सोचने चाहिए और इसका एक ही उपाय है “जनता कानून एवं नियमो का पालन करे”
यातायात नियमो की पालना करने से कई समस्याएँ वैसे ही हल हो जाएगी जैसे भ्रष्टाचार, अपराध, दुर्घटना और यदि कोई नियम तोड़े तो उसपर कठोर क़ानूनी कार्यवाही हो.
इसके साथ ही पुलिस द्वारा कुछ नवाचार भी होने चाहिए जैसे
- कैश लेस चालान का सिस्टम हो
- पुलिस पर कार्यवाही के दौरान उल्लंघन करने वाले के फ़ोन से बात करने पर पाबन्दी हो
- पूरेसाल निरंतर कार्यवाही हो, न की सिर्फ मौसमी
- पुलिस की हर गाड़ी में डैश केम हो और चालानी कार्यवाही उसी के सामने हो
- यातायात पुलिस कर्मियों की टीम को बढाया जाए, हर चौराहे पर, चारो तरफ पुलिस टीमें मौजूद हो
- उल्लंघन करने वाले के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार न करे
- जनता और पुलिस के बीच में संवाद हो
- निरंतर जागरूकता अभियान हो
जनता को समझना होगा कि यदि जान आपकी है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने जीवन के साथ साथ दुसरो का जीवन भी खतरे में डाले, एक ज़िम्मेदार शहरी बने न कि स्वार्थी शहरी.