आदिवासी महिला के साथ कांस्टेबल द्वारा ज़बरदस्ती की कोशिश

– एसएचओ और एएसआई लाइन हाज़िर

– आरोपी कांस्टेबल निलंबित

उदयपुर जिले के कोटड़ा तहसील के एक गाँव की आदिवासी महिला के साथ पुलिसकर्मीयों द्वारा अभद्रता, एवं जबदस्ती करने का सनसनीखेज़ मामला सामने आया है.

पुलिसकर्मीयों पर आरोप है कि उन्होंने एक आदिवासी महिला को एक मामले में जांच के बहाने पहले घर से उठा लिया, फिर उसे पुलिस कांस्टेबल की निजी कार में गुजरात में भटकते रहे, रात को चौकी के कमरे में महिला के साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की गयी, महिला द्वारा विरोध करने पर उसे और उसके पिता को मारा पीटा गया, यही नही, सुबह महिला से खाना बनवाया, चौकी का झाड़ू करवाया.

फिर से गुजरात ले जाया गया. इसके बाद जब ग्रामीणों ने क्षेत्र के एमएलए के साथ पुलिस के उच्चाधिकारियों से संपर्क किया तो आरोपी कांस्टेबल और एएसआई ने महिला और उसके पिता को गुजरात के विसनगर में छोड़ कर भाग गए.

एमएलए बाबूलाल खराड़ी एवं ग्रामीणों द्वारा एफआईआर दर्ज करवाई तो एसपी मनोज कुमार ने एक्शन लेते हुए डैयया चौकी पर कार्यरत एसएचओ नाथुसिंह और एएसआई राजकुमार को लाइन हाज़िर कर दिया वही दुष्कर्म के प्रयास करने वाले कांस्टेबल जितेन्द्र मीणा को ससपेंड कर दिया, साथ ही मामले की जांच डीवाईएसपी चेतना भाटी को दी गयी, एवं पीड़ित महिला की कड़ी सुरक्षा का आश्वासन दिया गया.

मामला एक लापता महिला से जुड़ा है जिसकी तलाश में पुलिस उक्त आदिवासी महिला तक पहुंची पुलिस को महिला पर शक था कि वह लापता युवती के बारे में जानती है.  

इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल उठते है

  • महिला के बयान उसके इच्छित स्थान पर लिए जाने चाहिए जो की नहीं लिए गए.
  • बिना महिला पुलिसकर्मी के महिला को चौकी पर रखना, पूछताछ या गिरफ्तार करना  
  • बिना जांच आदेश या वारंट के महिला को उठा ले जाना
  • बिना अनुमति निजी गाड़ी में दूसरे राज्य में ले जाना

ऐसे और भी कई सवाल होंगे, पर सबसे बड़ा सवाल है कि क्या महिलाएं सही मायने में सुरक्षित है? जिन्हें सुरक्षा की ज़िम्मेदारी दी गयी उन्ही द्वारा एक महिला का शोषण शर्मनाक कृत्य है.

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