सर्द वातावरण में गर्म रहा शिल्प बाजार, गोवा की प्रस्तुतियोें ने समां बांधा
- रंगोली व माण्डणा प्रतियागिता 29 को
उदयपुर, 28 दिसम्बर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव में मंगलवार को सर्द मौसम भी कलात्मक वस्तुओं के खरीददारों का जोश ठण्डा नहीं कर सका तथा लोगों ने जमकर खरीददारी की। ठण्डी बयार के बीच दर्पण सभागार में कला प्रस्तुतियाँ हुई जिसमें गोवा के कलाकारों ने लोक नृत्यों से कोंकणी संस्कृति से रूबरू करवाया। उत्सव में बुधवार को आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत रंगोली व माण्डणा प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा।
उत्सव के आठवें दिन सर्द और बरसाती माहौल के बीच मेले की शुरूआत से ही शिल्प वस्तुओं को अपने घर ले जाने की चाह रखने वाले लोग शिल्पग्राम पहुंचना प्रारम्भ हो गये तथा हाट बाजार में जमकर खरीददारी की। उत्सव के दौरान मंगलवार को सभी सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दर्पण सभागार में हुई जिसमें गोवा से आयें कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी।
दोपहर में दर्शकों को कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति देखने को मिली जिसे दर्शकों ने भरपूर सराहा। कार्यक्रम में गुजरात के छाटा उदेपुर के राठवा आदिवासियों का राठवा नृत्य दर्शकों को खूब रास आया जिसमें कलाकारों द्वारा पिरामिड की रचना कर प्रस्तुति को मोहक बनाया गया। इस अवसर पर महाराष्ट्र का लेज़िम ने वहां की उत्सवी परंपरा को दर्शाया।
उत्सव में ही मंगलवार को दर्शकों को पौष मास में श्रावण माह में मेवाड़ अंचल में रमी जाने वाली गवरी देखने को मिली। कार्यक्रम में भील आदिवासियों ने बनजारा बनजारन के प्रसंग का मंचन किया।
शाम को दर्पण सभागार में ही गोवा के कला एवं संस्कृति निदेशालय की ओर से उत्सव में कला प्रदर्शन करने आये दल ने सर्व प्रथम देखणी नृत्य प्रस्तुत किया जिसके साथ गाये जाने वाले गीत की धुन ने बाॅबी फिल्म के गीत की याद ताजा करवा दी। कार्यक्रम में ही गोवा के धनगर समुदाय का धनगर नृत्य, कळशी फुगड़ी व कुणबी की प्रस्तुति जहां मोहक रही वहीं गोवा का गौफ नृत्य दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया गया जिसमें कलाकारों ने ऊंचाई पर बंधी कपड़े की रंगीन पट्टिकाओं को लयकारी के साथ नर्तन करते हुए पहले गुंथा तथा बाद में उसे खोल कर उत्सवी माहौल बनाया।