शिक्षक दिवस 2022 : बढ़ते संकट के बीच भविष्य की नई कल्पना

 शिक्षक दिवस 2022 : बढ़ते संकट के बीच भविष्य की नई कल्पना

आज शिक्षक दिवस मनाते हुए हमारे राष्ट्र को 60 वर्ष हो चुके हैं । सन 1962 से 5 सितंबर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष में हम यह दिवस आज तक मनाते आए है। राष्ट् की आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी हमारी शिक्षा व्यवस्था में अभी बहुत सी कमियां है, जिन में नामांकन दर, है। इन सब चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति 2020, 29 जुलाई 2020 को देश के सम्मुख प्रस्तुत की गई और इसमें शिक्षकों से इस हेतु बहुत सी व्यावसायिक दक्षता की अपेक्षा रखी गई।

इस वर्ष 2022 को शिक्षक दिवस पर शीर्षक ही शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा गया है कि “बढ़ते संकट के बीच भविष्य की कल्पना”।

शिक्षा किसी राष्ट्र के उत्थान और पतन दोनों का आधार बन सकती है। एक राष्ट्र की शिक्षा के आधारभूत प्रभाव को दिशा देने वाला शिक्षक ही होता है और देश के भावी विकास को वह मार्ग  प्रशस्त करता है।

शिक्षक यदि योग्य ,कर्मठ और उत्तरदाई है तो भावी पीढ़ी के विकास को कोई भी नहीं रोक सकता है। वर्तमान में देश के सम्मुख नई शिक्षा नीति 2020 प्रस्तावित है जिसमें शिक्षा के मूलभूत ढांचे में बहुत से बदलाव समाहित किए गए हैं।

5  +3 + 3 + 4 के ढांचे में  प्रथम स्तर पर बालक के  विकास के आधारभूत 5 वर्ष में आंगनबाड़ी शिक्षा और कक्षा दो तक की व्यवस्था की बात कही गई है। इस स्तर पर आधारभूत आंगनवाड़ी में खेल, स्वच्छता, अच्छी आदतें और  भाषा आदि के विकास हेतु शिक्षक को अपनी तैयारी निश्चित करनी होगी।

फिर शिक्षा व्यवस्था के दूसरे स्तर पर आयु वर्ग 9 से 11 प्राथमिक स्तर की शिक्षा हेतु विद्यार्थी 3 से 5 कक्षा स्तर तक आएंगे , इस स्तर के शिक्षक को अपनी तैयारी में गणित, विज्ञान और भाषा के ज्ञान और संप्रेषण और कौशल को गतिविधि आयोजन हेतु दक्ष बनाना होगा। इसके उपरांत तीसरे स्तर पर कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए व्यवसायिक दक्षता, हस्तशिल्प और बहू विषय उपागम का प्रस्ताव है , इस स्तर के शिक्षकों को इन विधाओं में दक्षता हेतु प्रयास करने होंगे।

अंत में चौथे स्तर पर कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थी माध्यमिक स्तर की शिक्षा में विभिन्न विषयों के आधारभूत अवधारणा और कौशल के निर्माण को बहु विषय पारंगतता से प्राप्त करेंगे और यही  अपेक्षा  एक दक्ष शिक्षक से रहेगी।

शैक्षिक ढांचे के इन 4 पड़ावो पर शिक्षकों की विशिष्ट योग्यता और प्रायोगिक क्रियान्वयन की प्रभावशीलता अपेक्षित है।

वर्तमान संदर्भ में शिक्षकों को इस हेतु अपनी तैयारी और सतत प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षकों हेतु राष्ट्रीय व्यवसायिक मानक की बात कहीं गई है एन .पी. एस. टी (NPST)मैं मुख्य रूप से 4 मानकों की प्राप्ति शिक्षकों के लिए आधारभूत मानी गई है।

  • केंद्रीय मूल्य और नैतिकता।
  • व्यवसायिक ज्ञान और अवबोध।
  • व्यवसायिक अभ्यास और दक्षता।
  • व्यवसायिक उन्नयन और विकास।

इन राष्ट्रीय मानकों के साथ ही 4 व्यावसायिक दक्षता स्तर शिक्षकों के लिए प्रस्तावित है  शुरुआती (Beginners), प्रवीण (proficient), विशेषज्ञ (Expert) और प्रमुख (Lead). इन स्तरों में एक से दूसरे स्तर पर स्थानांतरण की व्यवस्था भी प्रस्तावित है।

एन .पी.एस .टी . के इन चार मानक आवश्यकताओं हेतु शिक्षक की अपेक्षाओं को मुखातिब करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बहुत ही कड़े शब्दों में शिक्षकों से अपने आप में बदलाव के लिए तत्पर रहने की बात कही है।

आज समय आ गया है कि शिक्षक अपने इन मानकों हेतु उत्तरदाई बने और नैतिकता ,व्यवसायिक ज्ञान , व्यवसाय प्रयोग और सतत  व्यवसायिक उन्नयन में संलग्न रहते हुए 21वीं सदी के भारत के विकास की नवीन आधारशिला निर्मित करें।

डॉ जेहरा बानू (सह आचार्य)

विद्या भवन गोविंद राम सेकसरिया शिक्षक महाविद्यालय

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