शिल्पग्राम उत्सव-2021: राज्यपाल करेंगे उद्घाटन

 शिल्पग्राम उत्सव-2021: राज्यपाल करेंगे उद्घाटन
  • 25 राज्यों के 350 कलाकार 300 शिल्पकार करेंगे शिरकत
  • 100 से ज्यादा वैरायटी मिलेगी हाट बाजार में

उदयपुर, 18 दिसम्बर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आगामी 21 से 30 दिसम्बर तक आयोजित राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं लोक कला उत्सव ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ में 25 राज्यों के 350 कलाकारों के साथ ही 300 श्ािल्पकार सौ से अधिक शिल्प की वैरायटी जन सामान्य के सम्मुख परोसेंगे। उत्सव का उद्घाटन राज्यपाल एवं पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के अध्यक्ष श्री कलराज मिश्र द्वारा मुक्ताकाशी रंगमंच पर 21 दिसम्बर की शाम किया जायेगा।

केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने उत्सव में होने वाली गतिविधियों के सम्बनध में जानकारी देते हुए बताया कि दस दिवसीय उत्सव का उद्घाटन राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा शिलपग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर किया जायेगा। इस अवसर पर जयपुर के कला मर्मज्ञ विजय वर्मा तथा ठाणे महाराष्ट्र के प्रकाश खांडगे को पद्मभूषण डाॅ. केामल कोठारी लाइफ टाइम अचीवमेन्ट लोक कला पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा।

उन्होंने बताया कि उत्सव में 25 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेश के लोक कलाकार व शिल्पकार भाग लेंगे। इनमें 350 लोक व शास्त्रीय कलाकार तथा 300 शिल्पकार उल्लेखनीय है। उत्सव के दौरान शिल्पग्राम परिसर में लगने वाले हाट बाजार में 100 से अधिक शिल्प व कलात्मक वस्तुएँ देखने व खरीदने को मिलेगी। उत्सव में ही 20 शिल्पकार हाट बाजार में शिल्प उत्पाद सृजन का जीवन्त प्रदर्शन करते दिखेंगे।

दस दिवसीय उत्सव के उद्घाटन अवसर पर मुक्ताकाशी रंगमंच पर जिन कला शैलियों को निहारने का अवसर मिलेगा उनमें उत्तर प्रदेश का डेडिया, असम का बिहू, जम्मू कश्मीर का डोगरी, गुजरात का डांग, मणिपुर का पुंग चोलम, राजस्थान का कच्छी घोड़ी तथा मांगणियार कलाकरों का गायन तथा वाद्य वादन प्रमुख है। इसी रंगमंच पर दोपहर 12.00 से 12.30 बजे तथा 1.00 से 1.30 बजे तक विभिन्न लोक कलाकारों द्वारा कला प्रदर्शन किया जायेगा।

उत्सव में 22 दिसम्बर से दर्पण सभागार में शाम 4 से 5 बजे तथा 7 से 8 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा इनमें राजस्थानी फोक बैण्ड, दमण का माछी नृत्य, महाराष्ट्र का सौंगी मुखवटे, गुजरात का वसावा होली नृत्य, लंगा गायन, चकरी, गुजरात का सिद्दी धमाल, जयपुर का तमाशा, मांगणियारलोक संगीत, गुजरात का टिप्पणी रास, राजस्थान का कलबेलिया, महाराष्ट्र का लेझिम, गुजरात का राठवा, मेवाड़ का गवरी, देविका मंगलमुखी का कत्थक, कत्थक लावणी की जुगलबंदी के साथ ही महाराष्ट्र का सत्काई, धनगरी गजी, पोतराज व वाग्या मुरली, गुजरात का अग्नि, भवाई गरबा, शिव ताण्डव रास, तलवार रास, हूड़ो रास उल्लेखनीय है।

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