पर्यावरण, पर्यटकों, परिवार व पडौसियों के लिए जानलेवा है शोर
उदयपुर, पर्यावरण प्रेमियों ने समस्त होटल, रिज़ॉर्ट व विवाह वाटिका मालिकों से आग्रह किया है कि वे शोर प्रदूषण की जानलेवा समस्या को समाप्त करने मे सहयोग प्रदान करें। नगर निगम व प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा उनको जारी संचालन स्वीकृति के प्रावधानों व एन.जी.टी के हाल के निर्देशों की पालना सुनिश्चित करना कानूनी रूप से भी जरूरी है ।
रविवार को आयोजित झील संवाद मे पर्यावरणविद डॉ अनिल मेहता ने कहा कि डी जे का तेज शोर ह्रदय की धड़कन को प्रभावित करता है तथा ह्रदय बंद भी हो सकता है । शोर से बहरापन, सिरदर्द , अवसाद, चिड़चिड़ापन सहित कई गंभीर बीमारियां होती है ।
मेहता ने कहा कि शोर को साइलेंट किलर माना गया है। अत: पर्यटकों, पर्यावरण, परिवार व पडौसियों सहित खुद के जीवन की रक्षा के लिए होटल, रिजॉर्ट मालिक व वाटिका संचालक शोर प्रदूषण रोक अपनी श्रेष्ठ मानव भूमिका निभाएं । सरकार भी इस हेतु सभी को प्रेरित करें ।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि शोर व तेज लाईटों से पशु पक्षियों का जीवन चक्र गड़बड़ा गया है । वे बीमार हो रहे हैं । रात को शोर से वे अंधेरे मे भटक कर मर रहे हैं । जीव हत्या के इस पाप से हमे दूर रहना होगा।
गाँधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि निगम, प्रन्यास व प्रदूषण नियंत्रण मंडल अतिशीघ्र हर शहर के शांत ( साइलेंस) क्षेत्रों का निर्धारण करें।
हर थाने को शोर प्रदूषण स्तर मापक मीटर प्रदान किया जाए ताकि वे उल्लंघन करने वालों को रोक सके।
झील प्रेमी द्रुपद सिंह ने कहा कि पूरे राज्य मे धार्मिक जुलूसों, बारातों मे वाहनों पर लगे डी जे सिस्टम को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए ।
संवाद से पूर्व नागरिक श्रमदान कर झील सतह व किनारों से कचरे को हटाया गया ।