पर्यटकों का रैला – हवा खराब व पानी मैला
उदयपुर के नागरिकों के स्वास्थ्य व जीवन सुगमता की लागत पर हो रहा पर्यटन आत्मघाती है। उदयपुर में पर्यटन को संतुलित व नियंत्रित करना उदयपुर के सुखद भविष्य के लिए जरुरी है।
यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किये गए. संवाद में झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने कहा कि बढ़ते पर्यटक वाहनों से पर्यावरण गुणवत्ता खराब हो रही है । उदयपुर में लगभग हर मुख्य मार्ग तथा भीतरी शहर की पतली गलियाँ वाहनों से जाम है। पर्यटकों का रैला हवा को खराब व पानी को मैला कर रहा है।
झील प्रेमी तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि वाहनों के धुंए से कोहरा बढ़ा है। वंही, वाहन टायरों से निकलने वाले कण पर्यावरण व नागरिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।
समाजविद नंद किशोर शर्मा ने कहा कि पर्यटकों की मौज मस्ती की पूर्ति के लिए उदयपुर के प्राकृतिक संसाधनों का अति दोहन हो रहा है। यह आत्मघाती है।
पर्यावरण प्रेमी कुशल रावल ने कहा कि अति व अनियंत्रित पर्यटन चिंताजनक है। उदयपुर की पर्यटक धारण क्षमता का निर्धारण करना जरूरी हो गया है। ।
द्रुपद सिंह ने कहा कि पर्यटकों का मनोरंजन स्थानीय रहवासियों को शोर व अपसंस्कृति का प्रदूषण भी दे रहा हैं ।
संवाद से पूर्व झील सतह से पर्यटन जनित कचरे को हटाया गया।