लिव-इन रिलेशनशिप की वैधता पर हुआ मूट कोर्ट का आयोजन
डॉ. अनुष्का विधि महाविद्यालय के मूट-कोर्ट हॉल में दिनांक 18.03.2023 को मूट कोर्ट का आयोजन किया गया । मूट कोर्ट की अध्यक्षता महाविद्यालय के निदेशक डॉ. एस. एस. सुराणा के द्वारा की गयी। मूट कोर्ट का विषय “भारत में लिव-इन रिलेशनशिप की वैधता” पर आधारित था। दंड प्रक्रिया सहिता, 1973 की धारा 125, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 112, घरेलु हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 2 (s), 2(f) के अंतर्गत मुकदमें के तथ्यो एवं विधि के बिन्दुओं को पेश किया गया। इस मामले में याचिकाकर्ता सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष भारतीय संविधान के अनुच्छेद 136 के अंतर्गत विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) लेकर प्रस्तुत हुआ।
यह मामला भारत में लिव-इन रिलेशनशिप का कानूनी दर्जा एवं लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालो के कानूनी अधिकार एवं दायित्वों पर आधारित था। विधि महाविद्यालय की सहायक आचार्य मंजू कुमावत ने न्यायमूर्ति की भूमिका निभाते हुए मूट कोर्ट की प्रक्रिया को आगे बढाया। तृतीय वर्ष एल.एल.बी (LL.B.) के विद्यार्थी की ओर से नेहल राठी, पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने याचिकाकर्ता के पक्ष को रखा एवं रीता श्रीमाली, साहिल सावरिया द्वारा प्रत्यर्थी के पक्ष को रखा गया।
मूट प्रस्तुति का विश्लेषण करते हुए महाविद्यालय के निदेशक डॉ. एस. एस. सुराणा ने विद्यार्थियों को मूट कोर्ट का विधि के क्षेत्र में महत्व समझाया और यह भी बताया की इस तरह की गतिविधियों में भाग लेने से ही विधि प्रक्रिया का असल ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। साक्षात प्रस्तुति की महत्वता को दर्शाते हुए यह भी बताया की विधि के क्षेत्र में तर्क-वितर्क की क्षमता को विकसित करने हेतु मूट कोर्ट का बहुत महत्व है।
मूट कोर्ट में स्वागत उद्बोधन विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. क्षेत्रपाल सिंह के द्वारा तथा धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. मो. हारून छिपा द्वारा किया गया। मूट कोर्ट में महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. राजेंद्र कुमार मीणा एवं श्री नवनीत सोलंकी भी प्रस्तुत थे। मूट कोर्ट का संचालन सहायक आचार्य मृणाली सक्सेना द्वारा किया गया।