आरएएस प्रशिक्षु अधिकारियों ने लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से किया संवाद

 आरएएस प्रशिक्षु अधिकारियों ने लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से किया संवाद

शौर्य-बलिदान के साथ सेवाभाव भी मेवाड़ का पर्यायवाची, सफलता का फॉर्मूला-ग्रेटेस्ट गुड फॉर ग्रेटेस्ट नंबर: लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

उदयपुर 7 जनवरी। मेवाड़ आन-बान-शान और शौर्य की धरा है। शौर्य-बलिदान के साथ सेवाभाव भी वीर भूमि मेवाड़ का पर्यायवाची है। यह खुशी का मौका है कि राजस्थान प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी सेवा का सफर शुरू करने वाले हैं और ऐसे में आप इस धरा से प्रशिक्षण प्राप्त कर सेवा के क्षेत्र में उच्च स्थान प्राप्त करें। यह विचार मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने शुक्रवार को सिटी पैलेस में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मेवाड़ ने कहा कि किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सबसे अच्छा फार्मूला- जीजीजीएन अर्थात ग्रेटेस्ट गुड फॉर ग्रेटेस्ट नंबर है।

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने उदयपुर के हरिश्चन्द्र माथुर लोक प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण के लिए पहुंचे आरएएस प्रशिक्षु अधिकारियों से संवाद के दौरान उनके सवालों के भी बेबाकी से जवाब दिए। पढि़ए प्रशिक्षु आरएएस अफसरों के सवाल और लक्ष्यराज सिंह के जवाब-


आरएएस: सेवा के लिए कौनसा वक्त आदर्श होता है?
मेवाड़: वक्त आता है, वक्त जाता है, वक्त को संभाल कर रखिए, वक्त बेवक्त काम आता है। मेवाड़ ने कभी भी सेवा और स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया। वर्तमान समय में जब भी मौका मिले सेवा के साथ समझौता नहीं करते हुए संकल्प के साथ राहत देते रहना का ही वक्त आदर्श है।  


आरएएस: सफलता का सबसे अच्छा फार्मूला कौनसा है?
मेवाड: किसी भी कार्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सबसे अच्छा फार्मूला है। जीजीजीएन अर्थात ग्रेटेस्ट गुड फॉर ग्रेटेस्ट नंबर। कोई भी कार्य करने की कोशिश करने के लिए इस फार्मूले को अपना लें। जो भी काम करें वो सर्वाेत्तम अच्छे के लिए हो और वह कार्य सर्वाेत्तम संख्या के लिए फायदेमंद हो।  


आरएएस: किसी भी व्यक्ति को समाज के लिए क्या योगदान देना चाहिए?
मेवाड़: हमें यह देखना होगा कि हमारे करने के लिए क्या बेहतर है। हम अपने मन, वचन, कर्म के साथ जरूरतमंदों का सहयोग करें। हम अपने आसपास के वंचित और पिछड़े क्षेत्रों की आवश्यकताओं का अनुभव करें और उनकी बेहतरी के लिए समर्पित प्रयास करतें रहें, जिसमें हम सबकी भागीदारी भी जरूरी है।  


आएएस: सफलता में प्रेरणा का क्या स्थान है?
मेवाड़: हजारों मील का सफर पहले कदम से शुरू होता है। हमारा पहला कदम बड़ा जरूरी है। हमारे पास लोगों को देने के लिए सबसे बड़ी चीज ही प्रेरणा है। हम कर्मठता के साथ समाज के हर जरूरतमंद का सहयोग करते हुए सफलता के लिए प्रेरित करें।


आरएएस: मेवाड़ ने कभी दवाब को नहीं झेला, प्रशासनिक सेवा में जाने वाले अधिकारी प्रेशर को कैसे झेल सकते हैं ?
मेवाड़: जो सही है वह सही है। जो चीज जायज है,उसके लिए कभी चिंता नहीं करें। अंतिम लक्ष्य को अपने विवेक के साथ समझें और लक्ष्य तक पहुंच कर लोगों को राहत दें तो दवाब में नहीं आएंगे। यह मेरा मानना है।  


आरएएस: व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए क्या जरूरी है?
मेवाड़: व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए खेलकूद बहुत जरूरी हैं। हर व्यक्ति शिक्षार्जन के साथ-साथ खेलकूद से भी जुड़े। सोशल मीडिया के इस युग में हम समय बहुत बर्बाद करते हैं। हमको अपना संतुलित विकास करना है तो किसी न किसी एक खेल के लिए समय अवश्य निकालना होगा। मेरे अपने दोस्त स्कूल की कक्षाओं से नहीं, बलकि खेल के मैदान से ही बने हैं।  

प्रशिक्षु अधिकारी सिटी पैलेस देख हुए अभिभूत:

इससे पहले प्रशिक्षु अधिकारियों ने सिटी पैलेस का अवलोकन किया। इन अधिकारियों को तीन समूहों में विभक्त करते हुए पैलेस के संग्रहालय और अन्य प्रभागों का अवलोकन कराया गया। इस दौरान पैलेस के गाईड्स ने अधिकारियों को एक-एक कक्ष में ले जाकर प्रदर्शित विषयवस्तु की ऐतिहासिक तथ्यों के साथ विस्तार से जानकारी दी। मेवाड़ के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और परंपराओं पर प्रदर्शित सामग्री को देखकर अधिकारी अभिभूत हो गए।

इस दौरान संस्थान की अतिरिक्त निदेशक ज्योति ककवानी, जनसंपर्क उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा, संस्थान के संकाय सदस्य इरा भटनागर, मोनिका गर्ग, रागिनी डामोर, मेवाड़ चेरिटेबल फाउंडेशन के भूपेन्द्रसिंह आउवा, मयंक गुप्ता, उतेश डूंगरवाल सहित अन्य विभागीय कार्मिक मौजूद रहे। अंत में संस्थान की तरफ से लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ को महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित ‘सत्य पर मेरे प्रयोग‘ नामक पुस्तक व कलम भेंट की गई।

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