लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया अमेरिका के म्यूजियम में उदयपुर की चित्रकारी प्रदर्शन का उद्घाटन

 लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया अमेरिका के म्यूजियम में उदयपुर की चित्रकारी प्रदर्शन का उद्घाटन

भारत की जीवंत कला संस्कृति की अनूठी पहचान को कोई भी सरहदों की सीमाओं में नहीं बांध सकता है : लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

उदयपुर। अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी स्थित दी स्मिथसोनियन दी नेशनल म्यूजियम ऑफ एशियन आर्ट में चित्रकारियों में अलौकिक उदयपुर नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत टीएस संधू और मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की विशेष मौजूदगी में हुआ।

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि भारतीय कला और संस्कृति के प्रति अमेरिका में भी अटूट लगाव और उत्साह देखकर गौरवांवित महसूस करते हैं। अमेरिका सहित कई देशों के शिक्षाविद् मेवाड़ के शौर्यए पराक्रम, त्याग, बलिदान पर नित नए शोध करते आ रहे हैं और अब अमेरिका जैसे सशक्त देश में मेवाड़ की कला संस्कृति का प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि भारत की जीवंत कला संस्कृति की अनूठी पहचान को कोई भी सरहदों की सीमाओं में नहीं बांध सकता है।

मेवाड़ वाशिंगटन डीसी के एशियाई कला के राष्ट्रीय संग्रहालय और महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के साझे प्रयासों से आयोजित इस अनूठी प्रदर्शनी के लिए इतिहासकारों ,क्यूरेटरों, संरक्षकों और प्रशासक टीम आदि का आभार व्यक्त किया।

मेवाड़ ने डॉ चेज एफ रॉबिन्सन निदेशक आर्थ एम सैकल गैलरी एंड फ्रीर गैलरी ऑफ आर्ट क्यूरेट डॉ डेबरा डायमंड एवं डॉण दीप्ति खेड़ा प्रायोजक गणमान्य सदस्य शिक्षाविद् शोधकर्ता आदि का प्रदर्शनी को सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका के लिए भी आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर फ्रेंड्स ऑफ मेवाड़ की संस्थापक अध्यक्ष और मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार की सदस्य पद्मजा कुमारी मेवाड़ और डॉ कुश सिंह परमार की विशेष मौजूदगी रही।

बता दें दी स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम ऑफ एशियन आर्ट वाशिंगटन डीसी के नेशरल मॉल में स्थित है। राष्ट्रीय संग्रहालय एशियाई कला का असाधारण संग्रह केन्द्र हैंए जहां 45000 से अधिक वस्तुओं का विशेष संग्रह है। ये संग्रहालय वर्ष के 364 दिन जनता के लिए खुला रहता है।

मेवाड़ के महलों, झीलों, मार्गों, नैसर्गिंक दृश्यों को देखकर अभिभूत हो रहे अमेरिकी और प्रवासी भारतीय प्रदर्शनी के दौरान विदेशी महानुभावाओं और प्रवासी भारतीयों ने कहा कि दोनों ही देश भावनात्मकए शैक्षणिक और सांस्कृतिक रूप से एक साथ बंध कर वर्ष 2015 से प्रदर्शनी को सफल बनाने के लिए कार्यरत थे।

7 साल परिश्रम कर हजारों में से चुनिंदा अनूठी कलाकृतियों का चयन कर उनका संरक्षण करते हुए विश्लेषणए फ्रेमिंग माउंटिंग पैकेजिंग परिवहन प्रचार व अन्य कार्य किए गए।

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