वाहनो के टायरों से झीलें हो रही प्रदूषित: झील संरक्षक

 वाहनो के टायरों से झीलें हो रही प्रदूषित: झील संरक्षक

उदयपुर, 26 फरवरी, झीलों के आसपास तथा उनके जल ग्रहण क्षेत्र मे बढता वाहन यातायात जल गुणवत्ता के लिए घातक है ।झीलों की रक्षा तथा मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए झील क्षेत्र मे वाहनो पर नियंत्रण आवश्यक हो गया है।

यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद मे रखे गए।

विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने विश्व स्तर पर हुए अध्ययनों का उल्लेख करते हुए कहा कि टायरों के घिसने पर अनेकों सूक्ष्म रासायनिक कण निकलते हैं। इन सूक्ष्म कणों से होने वाला प्रदूषण वाहनो के धुँवे से होने वाले प्रदूषण से कई गुणा ज्यादा व अत्यधिक जहरीला होता है। ये सूक्ष्म कण पानी मे मिल जलीय जीवों के लिए मारक बन जाते हैं । इंसानो के स्वास्थ्य पर भी इनका घातक प्रभाव है। मेहता ने कहा कि झीलों को अति संवेदनशील क्षेत्र घोषित कर मानवीय गतिविधियों पर तुरंत नियंत्रण जरूरी है।

तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों पर पर्यटन दबाव सहनीय सीमा से अधिक हो गया है। पर्यटन जनित कचरा झीलों के लिए एक बड़ा संकट बनता जा रहा है । पेड़, पहाड़ व पानी स्रोत नष्ट हो रहे हैं, वाहनो की बढ़ती संख्या स्थानीय निवासियों के लिए समस्या बन रही है।

नंद किशोर शर्मा ने कहा कि वाहनो का शोर जलीय जीवन, पक्षियों तथा इंसानो के लिए एक जोखिम है। समय आ गया है कि पर्यावरणीय सोच के अनुरूप पर्यटन की एक नवीन नीति व कार्ययोजना बनाई जाए।

कुशल रावल ने कह कि वाहनो के धुवें मे हानिकारक गैसे व कण है जो झील पर्यावरण को नुकसान पंहुचा रहे हैं इंसानो मे भी श्वसन प्रणाली के रोग बढ़ रहे हैं।

द्रुपद सिंह ने कहा कि जिन झीलों से पेयजल मिलता है, उन्ही को समस्त प्रकार की गंदगी व अशुद्धि से लादा जा रहा है।

संवाद से पूर्ण स्वच्छता श्रमदान किया गया।

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