एक साथ तीन पैंथर्स को रेस्क्यू कर सुरक्षित वन क्षेत्र में किया मुक्त
रिहायशी इलाकों में आने वाले वन्यजीवों से होने वाले मानव-वन्यजीव संघर्ष को टालने और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में उदयपुर जिले ने रविवार को एक मिसाल पेश की है और एक साथ तीन पैंथर्स को बस्तियों में देखे जाने पर उन्हें न सिर्फ सुरक्षित रेस्क्यू किया है अपितु तीनों को एक साथ प्राकृतिक पर्यावास में मुक्त किया। राजस्थान की यह पहली व अनोखी घटना जिले के सलूंबर उपखंड क्षेत्र की है।
सलूंबर उपखंड अधिकारी सुरेन्द्र बी पाटीदार ने बताया कि गत दिनों सलूंबर शहर के कब्रिस्तान व हाड़ी रानी कॉलेज क्षेत्र में घूमते हुए तीन पैंथर्स को देखा गया था। इससे शहरवासियों में काफी भय का माहौल था। इस पर शहरवासियों से समझाईश की गई और वन विभाग से वार्ता करते हुए दो पिंजरे अलग-अलग जगह कब्रिस्तान में लगा कर रखे थे।
वन विभाग की सजगता के बाद 28 अप्रेल को रात में 7-8 माह का नर शावक पिंजरे में कैद हुआ जिसे रेंज परिसर में लाया गया। चूंकि शावक छोटा था अतः मां से अलग रहकर उसने दिन में वन विभाग द्वारा डाला गया मीट नहीं खाया। इसके बाद रात में उसे पुनः वहीं पर ले जाया गया जहां से रेस्क्यू किया गया था व दो पिंजरे लगाये गए।
दूसरे दिन सुबह वन विभाग को शानदार सफलता मिलते हुए पूरा परिवार पिंजरे में कैद हो गया। जिस पर उन्हें रात्रि में ही रेंज परिसर सलूंबर मुख्यालय पर लाया गया एवं स्वास्थ जांच के उपरान्त स्वस्थ पाये जाने पर मादा पैंथर एवं उसके दो शावको को सुबह सकुशल जयसमंद अभयारण्य में छोड़ने का निर्णय लिया गया और उप वन संरक्षक मुकेश सैनी व उपखंड अधिकारी सुरेन्द्र पाटीदार की मौजूदगी में मुक्त किया गया। वन्यजीवों को सुरक्षित रेस्क्यू कर वन क्षेत्र में छोड़ने और शहरवासियों को सुरक्षित रखने की कार्यवाही पर सलूंबरवासियों और जिलेभर के पर्यावरणप्रेमियों ने राहत की सांस ली।
पाटीदार ने बताया कि तीनों पैंथर्स को रेस्क्यू करने और मुक्त करने वाली टीम का नेतृत्व सलंूबर के क्षेत्रीय वन अधिकारी जितेन्द्र सिंह शेखावत ने किया। टीम में लोकेश मीणा, उदय सिंह, कन्हैयालाल, नरेन्द्र सिंह, विक्रम सिंह, वरदाराम, एवं विष्णु प्रताप सिंह शामिल रहें।
राजस्थान का संभवतः पहला मामला:
राज्य के ख्यातनाम पर्यावरणविद् डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि वन्यजीवों व आमजन के बीच टकराव को रोककर वन्यजीवों को संरक्षित करने का यह प्रयास वाकई सराहनीय है। मेवाड़ की समृद्ध जैव विविधता को देखते हुए यहां वन्यजीवांे की उपस्थिति और उनके रिहायशी इलाकों में घुस आने के बावजूद आमजन को धैर्य रखना चाहिए ताकि उन्हें वन विभाग द्वारा रेस्क्यू कर पुनः उनके प्राकृतिक पर्यावास में मुक्त कर सके। उन्होंने बताया कि एक साथ तीन पैंथर्स को रेस्क्यू कर वन क्षेत्र में मुक्त करने का राजस्थान का यह संभवत पहला मामला है।