लिली व एरे निकले है भारत से इटली तक साइकिल यात्रा पर

 लिली व एरे निकले है भारत से इटली तक साइकिल यात्रा पर

भारत एक वृहद जैव विविधता वाला देश है। पर्यावरण की रक्षा तथा वनस्पतियों व जीवों के प्रति प्रेम यंहा की संस्कृति रही है। लेकिन विकास के नाम पर प्रकृति पर हो रहा आघात पीड़ादायी है। युवा वर्ग को प्रकृति अनुकूल जीवन शैली अपनाकर अपना कार्बन फुटप्रिंट को न्यूनतम करना चाहिए तथा पर्यावरण को समृद्ध बनाना चाहिए।

यह विचार तमिलनाडु से इटली तक साइकिल यात्रा पर निकले लिली व एरे ने विद्या भवन पॉलिटेक्निक में आयोजित युवा पर्यावरण संवाद में व्यक्त किए। संवाद पॉलिटेक्निक की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, ग्रीन पीपल सोसायटी तथा सक्षम संस्थान के साझे में आयोजित हुआ।

उल्लेखनीय है कि जर्मन मूल की तथा अपनी तीन वर्ष की उम्र से तमिलनाडु में रह रही लिली तथा इटली मूल के एरे अपने देशी प्रजाति के श्वान स्नूक के साथ तेरह हजार किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर निकले हैं । वे लोगों को प्रकृति अनुकूल भवन निर्माण, देशी प्रजातियों को बचाने, प्लास्टिक का इस्तेमाल नही करने का संदेश देते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान जा रहे है।

संवाद में ग्रीन पीपल सोसायटी के सुहेल मजबूर तथा डॉ ललित जोशी ने कहा कि युवा वर्ग स्वयं में प्रकृति सेवा का भाव विकसित करें । प्रारंभ में प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने उदयपुर की प्रकृति संरक्षण संस्कृति पर प्रकाश डाला। धन्यवाद विभागाध्यक्ष जे पी श्रीमाली ने ज्ञापित किया।

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