मणप्पुरम गोल्ड रॉबरी में लिप्त दो आरोपी आये पकड़ में, मुख्य आरोपी की तलाश जारी

 मणप्पुरम गोल्ड रॉबरी में लिप्त दो आरोपी आये पकड़ में, मुख्य आरोपी की तलाश जारी

उदयपुर पुलिस ने 29 सितम्बर 2022 को सुंदरवास स्थित मणप्पुरम गोल्ड लोन कंपनी से 12 करोड़ रूपये के सोने और 11 लाख रुपये नकद लूटने की वारदात में शामिल 2 अभियुक्तो को गिरफ्तार किया है. हालाँकि अभी इस सनसनीखेज़ लूट का मुख्य आरोपी और लुटा हुआ सोना एवं राशि बरामद नहीं हो सकी है पर पुलिस के एक महीने के अथक प्रयासों से दो अभियुक्तों को गिरफ्तार करना भी किसी कामयाबी से कम नहीं.

गुरुवार 29 सितम्बर की सुबह मणप्पुरम गोल्ड के ऑफिस में करीब 5 बंदूकधारी लुटेरो ने अचानक गुस कर्मचारियों को बंधक बना वह रखा करीब 23 किलो सोना और 11 लाख रूपये नकद लूट लिए थे, यह उदयपुर के इतिहास की सबसे बड़ी लूट मानी जा रही है. वारदात के बाद लुटेरे फरार हो गए थे. तब से उदयपुर पुलिस के कई उच्चाधिकारी इस प्रकरण के अनुसंधान और आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर सीधे जुड़े हुए थे, कई टीमे देश के विभिन्न हिस्सों में दबिशे दे रही थी.

इसी दौरान वारदात में लिप्त दो आरोपी जिनकी पहचान प्रिंस कुमार तथा फन्टुष कुमार के रूप में हुई  है के बारे में जानकारी मिली कि दोनो पुनः लूट की वारदात करने हेतु स्थान चयन रैकी करने के लिए राजस्थान की ओर ही गये हुए है जिस पर पुलिस ने कल दिनांक 20.10.2022 को दोनो को निम्बाहेडा से धर दबोचा। प्रिंस कुमार के कब्जे से एक पिस्टल व दो कारतुस बरामद हुई जो उसने वही पिस्टल होना बताया जो उसके द्वारा उदयपुर में लूट की वारदात में प्रयोग में ली थी।

आई जी प्रफुल कुमार ने प्रेस कांफेरंस में जानकारी दी कि मणप्पुरम गोल्ड लोन की लूट की साजिश रचने, वारदात को अंजाम देने, फिर मौके से फरार होना बहुत सुनियोजित ढंग से किया गया था. पुलिस को पता चला था कि वारदात में लिप्त आरोपी बिहार के है. और उदयपुर में लूट को अंजाम दे कर बाइक से कच्चे रास्तो से होते हुए राजस्थान बोर्डर पार कर एमपी पहुंचे, फिर वहां से दिल्ली पहुँच ट्रेन से पटना चले गए.

इस बीच उदयपुर पुलिस वारदात के स्थान से इन्वेस्टीगेशन शुरू करते हुए डबोक स्थित एक मकान पर पहुंची जहाँ आरोपियों ने 15 दिन पहले स्टूडेंट बन कर रूम किराये पर लिया था. यहाँ रह कर इन्होने वारदात स्थल, भागने के रास्तो की रेकी की.

आरोपियों ने दो टीमे बनाई थी और आश्चर्य की बात यह है कि कोई किसी का असली नाम पता नहीं जानता.

इस लूट की वारदात को अंजाम देने एवं पुलिस अनुसंधान के कुछ ख़ास पहलु को समझने के लिए यह पॉइंट्स पढ़े   

1. सभी आरोपी पेशेवर है और इनके पास सभी पहचान पात्र फर्जी है, जैसे आधार कार्ड आदि, इसी फर्जी आधार से इन्होने बंगाल से सिम कार्ड लिया, सबने अपने फर्जी नाम रखे थे.

2. इसी गैंग द्वारा उड़ीसा के ढेन्केनाल शहर में भी मणप्पुरम गोल्ड लोन कंपनी में ही वारदात करने का प्रयास किया गया था, लेकिन सायरन बज जाने से इन्हें वहां से फरार होना पड़ा तथा वे लूट नही कर पाए।

3. इन्होंने अपनी विफलता से सीख लेते हुए उदयपुर स्थित मणप्पुरम गोल्ड लोन कंपनी में सुरक्षा को लेकर जो इंतेजाम किए गए थे, उनके बारे में विस्तार से स्टडी की गई थी तथा किस सुरक्षा उपकरण को किस तरह से निष्प्रभावी करना है इस बारे में भी उनकी पूरी तैयारी थी। उनके द्वारा जीपीएस ट्रैकर, जैमर तथा वाईफाई कॉलिंग वायरलेस कम्युनिकेशन इस तरह के सभी साधनों का इस्तेमाल किया गया था, जिससे मन्नापुरम गोल्ड लोन कंपनी द्वारा किए गए इंतेजामों को निष्प्रभावी किया जा सके।

4. वारदात के बाद सभी नीमच एमपी भागे और वह से अलग अलग होगये, जिस व्यक्ति के पास गोल्ड और कैश है उसकी पहचान होना अभी बाकी है.

5. इस पूरे ग्रुप को पहचान करने के लिए पुलिस की टीम द्वारा दो मुख्य कार्रवाई की गई है जिसमें सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करना, उनका विश्लेषण करना तथा बिहार पुलिस के इंस्पेक्टर श्री अलय तथा उनकी टीम की मदद से इस वारदात को करने वाले लोगों को चिन्हित करना.

6. बिहार एसटीएफ के एसपी राजीव रंजन तथा इंस्पेक्टर श्री अलय की मदद से दो इन अभियुक्तो को चिन्हित किया गया। इसी के साथ ही श्री ठाकुर चंद्रषील एडिशनल एसपी सिटी के नेतृत्व में अलग-अलग टीमें उड़ीसा, बिहार , झारखंड व पश्चिम बंगाल के लिए रवाना की गई और चिन्हित किये गए अभियुक्तगण के विभिन्न ठिकानो पर रेड की गई मगर कोई सफलता नही मिली।

7. पुलिस टीम द्वारा लगातार एक बार 15 दिन तक व एक बार 7 दिन तक उड़ीसा के विभिन्न जिलों में, पश्चिम बंगाल के मालदा, बिहार के हाजीपुर, पूर्णिया, पटना इत्यादि जिलों में अभियुक्तों के संभावित ठिकानो पर उनका पीछा किया गया। इस दौरान एक संदिग्ध के नेपाल भागने की सूचना प्राप्त हुई तथा नेपाल पुलिस से सहयोग प्राप्त करने के लिए भी प्रयास किए गए।

8. जिला हाजीपुर पुलिस को मुखबिर की ईत्तला प्राप्त हुई जिसके अनुसार यह सूचना प्राप्त हुई कि संदिग्ध लोगों की मूवमेंट राजस्थान राज्य के चित्तौडगढ जिले के निम्बाहेडा के आसपास इनकी मुवमेंट हो सकती है इसी को देखते हुए टीम द्वारा इन लोगों का पीछा कर इन को गिरफ्तार किया गया।

9. इस केस में पुलिस के सामने बहुत बडा चेलेंज यह था कि हर कदम पर फर्जी आधार कार्ड, फर्जी सिम कार्ड, तथा फर्जी पहचान पत्रों के चलते जगह जगह डेड एन्ड मिल रहे थे तथा प्रत्येक लीड खत्म हो जा रही थी। लेकिन पुरी पुलिस टीम द्वारा इस चेलेंज को स्वीकार कर दिन रात एक कर वारदात का खुलाषा किया है.

पुलिस टीम सदस्यः-

दर्षन सिंह पु.नि. थानाधिकारी थाना प्रतापनगर, श्याम सिंह रत्नु पु.नि., रविन्द्र चारण पु.नि. रामसुमेर पु.नि.हनुवन्त सिंह पु.नि. दलपत सिंह पु.नि. दिलीप सिंह पु.नि.

फैलीराम उ.नि. अमित कुमार उ.नि. नाथु सिंह उ.नि.

हेड कांस्टेबल गोविंद सिंह प्रतापनगर, अखिलेष सिंह सविना, मदन सिंह थाना गो.वि., गणेष सिंह थाना गो.वि. मोहम्मद अतहर हाथीपोल, कुलदीप हिरणमगरी, ईष्वर सिंह थाना कुराबड, गजराज सिंह साईबर सैल. डीएसटी टीम से हेड कांस्टेबल सुखदेव, विक्रम सिंह, धर्मवीर सिंह, मनमोहन सिंह.

कांस्टेबल हरिकिषन, अचलाराम, उमेष, सुभाष, राजुराम, रामजीलाल कानि मुकेष, किरण कुमार कानि लोकेष, प्रमोद, प्रवीण कुमार, विजय सिंह, करतार सिंह, श्रवण कुमार, चेतन दास, हेमेन्द्र, भगवतीलाल प्रदीप, जिग्नेष, दिनेष, भंवर लाल, नरेन्द्र सिंह. रुद्रप्रताप सिंह, दिनेष कुमार, रतन सिंह, विजय सिंह, भल्लाराम, लोकेष, विनोद, चन्द्र कुुमार, हरेन्द्र सिंह,  उपेन्द्र सिंह, अनिल पुनिया, सीताराम, प्रहलाद, रामनिवास, विक्रम सिंह, रविन्द्र कुमार, फिरोज खान, राकेष गुर्जर, भागीरथ प्रजापत, जगदीष कानि

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