तीन दिवसीय प्रथम अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन  का आगाज

 तीन दिवसीय प्रथम अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन  का आगाज

उदयपुर 8 दिसंबर। पूरे विश्व में सूखे व बाढ की वैश्विक समस्या पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) एवं विश्व जन आयोग स्वीडन के संयुक्त तत्वावधान में भारत में पहली बार आयोजित होने वाले विश्व जल सम्मेलन  का शुभारंभ गुरूवार को  प्रतापनगर स्थित आई टी सभागार मे हुआ।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार विजेता व सूखा एवं बाढ के विश्व जन आयोग , स्वीडन के अध्यक्ष वाटर मैन ऑफ इंडिया डॉ राजेंद्र सिंह ने घटते जल संसाधनों से विश्व शांति को खतरा बताते हुए विकेंद्रीकृत जल संरक्षण व्यवस्था को अपनाने का आह्वान किया। डॉ. राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण एवं संवर्धन करने के लिए नागरिक एवं सरकारी समितियों में समेकन की आवश्यकता पर बल देते हुए इसे भूमंडलीकृत विश्व पर्यावरण के लिए आवश्यक बताया।

इससे पूर्व कुलपति प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत ने अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन के संभागियों का महाराणा प्रताप ,मीरां बाई और पन्नाधाय  की वीर प्रसूता धरा पर स्वागत करते हुए मेवाड के गौरवशाली इतिहास व परंपरा पर प्रकाश डाला।  कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए विज्ञान, तकनीकी, एवं सामाजिक प्रयासों की त्रिवेणी से जल संरक्षण की आवश्यकता को अधिरेखांकित किया। कुलपति ने विश्व की 17 प्रतिशत आबादी वाले भारत  में केवल 4 प्रतिशत पानी की उपलब्धता की बात करते हुए शहरोे में तेजी से घट रहे भू जल एवं इसकी भरपाई के लिए ग्रामीण जलस्रोतों के बढते दोहन की समस्या पर संभागियों का ध्यान आकर्षण किया।   साथ ही आगामी  तीन दिनों तक सूखे एवं बाढ़ पर विभिन्न सत्रों पर सकारात्मक मंथन की आवश्यकता बताई ।

इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मटेरियल स्वीडन के निदेशक प्रो. आशूतोष तिवारी ने जल को एक महत्वपूर्ण वस्तु घोषित करते हुए इसे मानव शरीर की महत्ती आवश्यकता से जोडा। जैव मंडल एवं पर्यावरणीय कारकों का महत्वपूर्ण घटक जल है। जल हमारी साझी विरासत का एक अंग है जिसके संरक्षण के परंपरागत से आधुनिक स्वरूप की यात्रा में भारत की तकनीक को  आदर्श मान वैश्विक स्तर पर अपनाने की शपथ लेना सार्थक होगा।

जाने माने पर्यावरण शिक्षाविद पद्म श्री कार्तिकेय साराभाई ने जल संरक्षण एवं संवर्द्धन के सरकारी प्रयासों पर आश्रित रहने के स्थान पर व्यक्तिगत एवं सामुदायिक इच्छा शक्ति की बात कही। शिक्षा क्षेत्र में ग्रीन करिक्युलम को अपनाने से भावी पीढी को जल संसाधन की सीमित उपलब्धता एंव संरक्षण का ज्ञान होगा। जल सेतु एवं जल दूत सरीखी योजनाओें को पंचायत स्तर पर लागू करने से जल संरक्षण की कार्य विधि आसानी से तय हो सकेगी। राजस्थान विषम पस्थितियों में अनुकूलन का जीवंत उदाहरण है। साराभाई ने जल विशेषज्ञों से राजस्थान की पारिस्थितिकी का गहन विश्लेषण कर एक नीति का निर्माण करने का आव्हान किया।

बोस्निया के राजदूत मोहम्मद शेनजिच ने स्वयं को धरती पूत्र की संज्ञा देते हुए परंपरागत बुद्धिमत्ता वाले लोगों को वैश्विक समस्याओं को हल करने वाला घोषित किया। बोस्निया को जल संतुलन एवं जल शुद्धिकरण का रोल मॉडल बताते हुए स्वदेशी जल संरक्षण व्यवस्था के अंतरराष्ट्रीयकरण की संभावना पर बल दिया। जल को  भारतीय  संस्कृति के शाश्वत मूल्यों का पर्याय बता आपने मानवीय हस्तक्षेप के चलते जल संकट पर चिंता व्यक्त की।

विशिष्ट अतिथि पूर्व राजघराने के कुंवर, एचआरएच ग्रुप के कार्यकारी निदेशक, गो ग्रीन अभियान के प्रणेता, राउंड टेबल इंडीया के ब्रांड अम्बेसेडर व गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड विेजेता लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने जल संरक्षण के संस्कार देने में शिक्षा संस्थानों की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुए पर्यावरणीय मुद्दों पर ऐसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों की उपादेयता को स्पष्ट किया।

कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय जानी ने प्रकृति पोषक पीढी को गढने में राजस्थान विद्याीठ द्वारा किए जा रहे ऐसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों को मील का पत्थर घोषित करते हुए पर्यावरण के प्रति चिंता व चिंतन की आवश्यकता बताई।

प्रो. जानी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उल्लेखित स्व पोषित विकास के लक्ष्य को शिक्षण में सम्मिलित कर भावी पीढी के सामाजिक समावेशन में जल संरक्षण के महत्व को स्पष्ट किया।

डॉ. इंदिरा खुराना एवं आशूतोष तिवारी ने इस अवसर पर विश्व जन आयोग, स्वीडन की वेबसाईट का शुभारंभ किया साथ ही डॉ. राजेन्द्र सिंह की पुस्तक ’बाढ सुखाड से मुक्ति- सामुदायिक विकेन्द्रित प्रबंधन हेतु युक्ति’ , डॉ. इंदिरा खुराना लिखित पुस्तक ’ड्रॉट,फ्लड एड क्लाइमेट चेंजः ग्लोबल चैलेंज लॉकल सॉल्यूशन’ एवं डॉ भारत सिंह देवडा की पुस्तक ’अ बिगिनर्स गाइड टू प्रॉब्लक सॉल्विंग एंड प्रोग्रामिंग इन पाइथन’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.  हीना खान ने एवं  धन्यवाद की रस्म डॉ. हेमशंकर दाधीच ने अदा की।

विश्व जन आयोग के कमिश्नर एवं कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि तीन दिवसीय विश्व जल सम्मेलन में छः महाद्वीपों एवं भारत के विविध राज्यों से 150 प्रतिनिधि  ’सूखा और बाढ़: विकेंद्रीकृत जल संरक्षण के माध्यम से शमन, अनुकूलन और अंबन्ध्य ’ विषयक इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य दुनिया में आ रही बाढ़ और सूखे के कारणों को जान उसका समाधान खोज , कार्य योजना पर मंथन कर रहें हैं।

आयोजन सचिव डॉ. युवराज सिंह राठौड ने इस सम्मेलन आयोजन पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए जानकारी दी कि विश्व भर के विषय विशेषज्ञ शुक्रवार को चार तकनीकी सत्रों में 16 थीम पर चर्चा करेंगे। साथ ही उदयपुर एवं निकटवर्ती क्षेत्रों के जल संरक्षण एवं प्रबंधन का अवलोकन कर विकेंद्रीकृत जल संरक्षण संबंधित योजना निर्माण में सामुदायिक एवं परंपरागत सहभागिता का विश्लेषण करेंगे।    

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