जल संवाद में जुटे शहर के जल विशेषज्ञ व पर्यावरण विद
उदयपुर के पानी को अच्छा बनाने व जल स्रोतों – झील तालाब , कुंवे बावड़ियाँ, नदी नालों के समग्र प्रबंधन के लिए बुधवार को बच्चे, युवा, वृद्ध नागरिक, वैज्ञानिक, अभियंता सभी एक साथ जुटें।
मदार, सीसारमा से लेकर वल्लभनगर तक फैले उदयपुर बेसिन के अलग क्षेत्रों से आये इन सहभागियों ने जंहा अपने अपने क्षेत्र की जल गुणवत्ता, बरसात, भूजल स्तर पर चर्चा की, वंही गुमानिया नाला की वस्तुस्थिति का मौके पर जाकर आंकलन किया।
भारत डेनमार्क जल प्रबंधन योजना के तहत विद्या भवन तथा डवलपमेंट अल्टरनेटिव नई दिल्ली के साझे मे आयोजित इस कार्यक्रम मे थूर, मदार, सीसारमा , सुखेर के सरकारी विद्यालय, , आलोक विद्या भवन संस्थान, गीतांजलि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज, अरावली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सहित कई जल विशेषज्ञ व पर्यावरण विद जुड़े।
विद्या भवन पॉलिटेक्निक सभागार मे प्रारंभिक संवाद के पश्चात सहभागियों ने छह समूहों मे बँट आलू फेक्ट्री, पंचवटी, यू आई टी पुलियाँ से लेकर स्वरूप सागर तथा फतेहसागर तक के गुमाननियाँ नाले का विस्तृत अध्ययन किया । अध्ययन मे कई जगह गंदे पानी का नाले मे प्रवाह, घरेलू कचरा इत्यादि मिले। वंही कुछ ऐसी वनस्पति प्रजातियाँ मिली जो गंदगी के उपचार मे सहयोगी है। समापन नगर आयोजना विभाग के कार्यालय मे हुआ।
आयोजक डॉ अनिल मेहता ने कहा कि यह नागरिक जुड़ाव व अध्ययन गुमानियां नाले सहित पूरे आयड नदी बेसिन के सुधार मे मददगार साबित होगा।
कायक्रम मे विद्या भवन के सीईओ डॉ अनुराग प्रियदर्शी, डीए की उपाध्यक्ष गीतिका गोस्वामी, यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स , वरिष्ठ नगर नियोजक अरविंद सिंह कानावत, लंदन के डॉ एलेक्ष सहित वैशाली कनौजिया, निधि सहरावत, पंकज सैनी, डॉ अनिता जैन, तेज शंकर पालीवाल, नंद किशोर शर्मा, कुशल रावल, महेंद्रपाल सिंह, डॉ विक्रम सिंह कुमावत, डॉ संगीता चौधरी, कलावती पूर्बियाँ, देवकी नंदन शर्मा, डॉ कामिनी शर्मा, सुविधा दवे, गीता यादव, चिराग धुपिया ने सहभागी जल प्रबंधन पर अपने विचार रखे।