तीन दिवसीय प्रथम अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन का हुआ समापन

 तीन दिवसीय प्रथम अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन का हुआ समापन

विश्व में सूखे व बाढ की वैश्विक समस्या पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) एवं विश्व जन आयोग स्वीडन के संयुक्त तत्वावधान में भारत में पहली बार आयोजित तीन दिवसीय विश्व जल सम्मेलन का शनिवार को समापन हुआ।

विशिष्ट अतिथि राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शिव सिंह राठौड ने भारत की स्वतंत्रता के समय कुल जी डी पी के 51 प्रतिशत कृषि के योगदान को वर्तमान में 16 प्रतिशत तक सीमित होने पर ध्यानाकर्षण करते हुए इसका कारण बढते औद्योगिकरण को घोषित किया। जल की सहज उपलब्धता ने जल उपभोग में मानव के अविवेक को बढाया और जल के देवत्व को नष्ट किया है । डॉ. शिव सिंह ने इसका उपाय हाइड्रो जियो ट्यूरिज्म को बताते हुए राजस्थान में इसकी विपुल संभावनाओं एवं उपलब्धताओं के बारे में बताया।

समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत ने प्रथम अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन की आयोजन रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए ऐसे आयोजनों को मानवता के लिए अति आवश्यक घोषित किया। प्रो. सारंगदेवोत ने सुभाष चंद्र सिंह भाटी से प्राप्त पत्र का उल्लेख करते हुए बनास नदी के संरक्षण पर कार्ययोजना की बना शीघ्र इसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट विश्व जल आयोग को प्रस्तुत करने की बात कही ।

मुख्य अतिथि मैग्सेसे पुरस्कार विजेता व सूखा एवं बाढ के विश्व जन आयोग, स्वीडन के अध्यक्ष वाटर मैन ऑफ इंडिया डॉ राजेंद्र सिंह ने तृतीय विश्व युद्ध के होरिजेंटल होने की संभावना पर चिंता व्यक्त करते हुआ कहा कि पहले के दो विश्व युद्धों के समान इसमें दुनिया दो ध्रुवों मे बंटी हुई नहीं होगी अपितु जल संकट को केन्द्र में रख एक ही तरफ होगी। डॉ. सिंह ने योजना निर्माण नहीं अपितु केवल व्यवहारिक क्रियान्वयन की बात  करते हुए भारत के जल संरक्षण व संवर्द्धन में परंपरागत ज्ञान  को आधार बनाने का आव्हान किया।

विशिष्ट अतिथि महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एन. एस. राठौड ने शिक्षा के प्रारंभिक स्तर से ही जल संरक्षण के संस्कार पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का सुझाव दिया।

आयोजन सचिव डॉ. युवराज सिंह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में विश्व के 30 से अधिक देश जिसमें अफ्रीका, अमेरीका, उत्तरी अमेरिका, एशिया, यूरोप, बोस्निया, स्वीडन, कनाड़ा, मिस्र, पुर्तगाल, लिथूआनिया, आस्ट्रेलिया, नेपाल सहित भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, लद्दाख, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक , राजस्थान के विभिन्न राज्यों के 175 से अधिक प्रतिभागी एवं विषय विशेषज्ञों ने शिरकत की।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. हीना खान ने किया जबकि आभार की रस्म डॉ. पंकज रावल ने अदा की।  समारेाह में उदयपुर शहर में झील संरक्षण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले एडवोकेट डॉ. प्रवीण खण्डेलवाल, पूर्व पार्षद एडवोकेट दिनेश गुप्ता, एडवोकेट अशोक सिंघवी, एडवोकेट महेश बागड़ी का माला, उपरणा, शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर प्रो. सुमन पामेचा, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. युवराज सिंह राठौड़ डॉ. हीना खान, डॉ. नीरू राठौड, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. रचना राठौड, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड, डॉ. तरूण श्रीमाली, डॉ. दिनेश श्रीमाली, डॉ. अपर्णा श्रीवास्तव, डॉ. मधू मुर्डिया, डॉ. गुणाबाला आमेटा, शीतल चुग, डॉ. अमित बाहेती, डॉ. प्रेरणा भाटी, सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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