नारकोटिक्स ड्रग्स – शिक्षा, रोकथाम और राष्ट्रीय नीति विषय पर संगोष्ठी

 नारकोटिक्स ड्रग्स – शिक्षा, रोकथाम और राष्ट्रीय नीति विषय पर संगोष्ठी

उदयपुर 17 दिसम्बर / राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक विधि महाविद्यालय की ओर से शनिवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में नारकोटिक्स ड्रग्स – शिक्षा, रोकथाम और राष्ट्रीय नीति विषय पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. तारीक मोहम्मद ने कहा कि नशे की लत एक बिमारी है जिसमें व्यक्ति का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता है। इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है कि वह क्या कर गुजरेगा।

फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत के बाद बिते दिनो हुई जांच पड़ताल किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची हो लेकिन यह संकेत साफ दिखता है कि बॉलीवुड में नशे के बढते साम्राज्य का साफ संकेत दिखाई देता है। नारकोटिक्स देश ही पूरे विश्व में ज्वलनशील मुद्दा है जो आज की संगोष्ठी का विषय हैं जिस प्रकार हमारा समाज स्थिर नहीं रहता है तो हमारी विधि में भी बदलाव जरूरी है। हमें एनडीपीएस अधिनियम में भी समय के अनुसार संशोधन करके क्या विधि है और क्या विधि होनी चाहिए।

उन्होने कहा कि हमारी कार्यपालिका एवं अन्य मशीनरी की कमियों को दूर करते हुए सरकार को इस पर नियंत्रण करने के लिए कठोर कानून चाहिए। पहले यह समस्या शहरी क्षेत्रों में ज्यादा थी लेकिन धीरे धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में बढोतरी हो रही है। व्यक्ति को सरकार पर आश्रित न कर , आमजन को समाज स्तर पर ही इसके प्रति जागरूकता पैदा कर इस पर नियंत्रण करना होगा।

अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार नशीले पेय, पदार्थ या दवा जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है , के प्रयोग पर केवल चिकित्सा सम्बंधी उद्देश्यों को छोडकर अन्य पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके लिए एनडीपीएस एक्ट बनाया गया है, इसमें अब तक तीन बार संशोधन हो चुके है।

भारत में 15 वर्ष पूर्व दो करोड के आसपास व्यक्ति ड्रग्स का सेवन करते थे, जिसकी संख्यॉ आज 10 करोड हो गई है, यानि की 20 मिलियन से 200 मिलियन हो गया है। 2006 से 2013 के बीच में 1257 व्यक्तियों पर केस दर्ज किया गया जो अब 3172 हो गये है अर्थात डेढ गुना अपराध बढा है। 2014 से 20 के बीच में  एरेस्ट होने वालों की संख्यॉ 1362 थी जो अब 4888 हो गई है। उन्होने कहा कि आकड़ो के अनुसार 2021-22 ड्रग्स कोकीन की जब्ती 310 किलोग्राम हो गई है यानि की 36 गुना बढ गई है। 2020-21 में 8.7 किलोग्राम, 2019-20 में सिर्फ 1.1 किलोग्राम थी। 2020-21 में 3410.71 किलोग्राम हेरोईन जब्त की गई जो एक अत्यधिक नशे वाली लत है जिसमें भी 17 गुना वृद्धि हुई है।

मादक पदार्थ आज के समाज के लिए एक अभिषाप साबित हो रहे हैं यदि इस पर समय रहते समाज, आमजन और सरकार ने उचित कदम नहीं उठाये तो युवाओं में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेगे। आज के समय में मादक पदार्थो से सबसे अधिक ग्रसित युवा ही हो रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना के बाद इसके सेवन में बढोतरी हुई है।

फोरेंसिक साईंस लेबोरेटरी के अतिरिक्त निदेशक डॉ. परमजीत सिंह ने कहा कि नारकोटिक्स का  युवा पीढ़ी जिसकी उम्र 15 से 35 वर्ष के बीच है सबसे अधिक प्रभावित हुई है जिसका मुख्य कारण युवाओं का अकेलापन, संयुक्त परिवारों का अभाव एवं माता पिता की इच्छाओं को पूरी करने जैसे कारणों के कारण युवा तनाव में आ जाते है, या वे इस ओर अग्रसर हो जाते है। इन दिनों आत्म हत्या के केस भी अधिक हो रहे है। गरीब व परिश्रम करने वाला व्यक्ति अपनी उर्जा को ओर अधिक पैदा करने के लिए भी ड्रग्स का उपयोग करता है।  शिक्षा एवं जागरूकता से ही इसका उन्मूलन संभव है। उन्होने कहा कि नारकोटिक्स अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का अपराध है। आज बाजारों में कई नये नये तरीके ड्रग्स सेवन के तरीके आ गये है।

सुखाडिया विवि के विधि संकाय की अधिष्ठाता प्रो. राजश्री चौधरी ने कहा कि राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रग्स आसानी से उपलब्ध हो जाती है जिसके कारण  लोगों को कई प्रकार की बिमारियों का सामना करना पड रहा है लेकिन वही आमजन आज विविध प्रकार के एन्जियों  व अन्य सरकारी निकायों से सहायता प्राप्त करके ड्रग्स की समस्या से बाहर आना चाहते है। ड्रग्स स्कुल व कॉलेज के आसपास के क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध हो जाती है युवा इसका सेवन तो करते है लेकिन इसके परिणाम क्या होंगे इसका उन्हे मालूम नहीं है। इसके लिए स्कूली व कॉलेज स्तर पर युवाओं को जागरूक करना चाहिए।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य प्रो. कला मुणेत ने बताया कि दो समानान्तर सत्रों में 44 पत्रों का वाचन किया गया। संगोष्ठी में 150 से अधिक प्रतिभागी एवं स्कोलर्स ने भाग लिया।

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