उदयपुर की वर्षा और अख्तर को रमा मेहता लेखन ग्रांट मिला
उदयपुर. भाषाओं की विविधता बनी रहनी चाहिए तथा हर भाषा में साहित्य सृजन को पूर्ण अवसर, प्रोत्साहन व सम्मान मिलना चाहिए. वंही, यह भी जरुरी है कि स्थानीय बोलियाँ बड़ी भाषाओं के प्रभाव में लुप्त नहीं हो। यह विचार प्रसिद्ध लेखिका व सम्पादक मुंशी प्रेमचंद की पौत्री सारा राय ने विद्या भवन ऑडिटोरियम में आयोजित रमा मेहता जन्म शताब्दी स्मृति व्याख्यान में व्यक्त किये।
कार्यक्रम का आयोजन रमा मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किया गया। अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक पद्मश्री विक्रम सेठ ने कहा कि साहित्य देश की सीमाओं से ऊंचा उठकर वसुधैव कुटुम्बकम की भवनाओं से परिपूर्ण होता है। उन्होंने रमा मेहता लिखित प्रसिद्ध उपन्यास ” इनसाइड द हवेली” को उदृत करते हुए कहा कि साहित्य सदैव कालजयी बना रहता है।
कार्यक्रम में विक्रम सेठ, सारा राय तथा कामिनी महादेवन ने रमा मेहता लेखन ग्रांट के विजेताओं की घोषणा की।इसमें राजस्थानी भाषा मे उदयपुर की वर्षा राठौड़, हिंदी भाषा में जयपुर की माधुरी,
उर्दू में उदयपुर की अख्तर बानो व अंग्रेजी में चंद्रपुर की पारोमिता गोस्वामी को लेखन ग्रांट प्रदान की गई। इनका चयन कुल 177 नवोदित महिला लेखिकाओं में से किया गया।
प्रारंभ में ट्रस्टी अजय एस मेहता ने रमा मेहता मेमोरियल की विविध गतिविधियों के बारे में अवगत कराया।
कार्यक्रम में साहित्यकार किशन दाधीच, विजय मारू, आई आई एम उदयपुर के संस्थापक निदेशक जनत शाह , शिक्षाविद पुष्पा शर्मा, प्रो अरुण चतुर्वेदी, डॉ वीवी सिंह, पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव अदिति मेहता सहित अन्य अतिथि मौजूद थे.