उदयपुर झील प्रणाली रामसर वेटलैंड घोषित हो: झील संरक्षण समिति
उदयपुर, केंद्रीय बजट मे वेटलैंड संरक्षण के लिए अमृत धरोहर योजना घोषित की गई है। उदयपुर संभाग के महत्वपूर्ण जलाशयों को इसमे सम्मिलित कराने के लिए प्रयास करने होंगे। वंही उदयपुर झील (वेटलैंड) प्रणाली को रामसर वेटलैंड घोषित करवाना होगा।
यह आग्रह रविवार को आयोजित झील संवाद मे उभरे।
झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने कहा कि विगत दस वर्षों मे देश की कई झीलें रामसर वेटलैंड घोषित हुई है। रामसर साइट्स 26 से बढकर 75 हो गई है। लेकिन भूमाफियाँ व होटल व्यवसाइयों के दबाव के चलते राजस्थान बहुत पीछे रह गया है।
मेहता ने कहा कि स्थानीय प्रशासन, वन विभाग व राज्य सरकार को उदयपुर झील प्रणाली को रामसर वेटलैंड घोषित करवाना चाहिए। वंही हाल ही घोषित अमृत धरोहर योजना मे संभाग की झीलों के संरक्षण के प्रस्ताव भेजने चाहिए।
संवाद मे झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झील प्रेमी जंहा उदयपुर झील प्रणाली को रामसर वेटलैंड का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं, वंही दूसरी और अतिक्रमण और प्रदूषण से पूरी झील प्रणाली को नष्ट कर देने के कई कार्य हो रहे हैं।
झीलों की सीमाओं को घटा दिया है तथा इससे झील से बाहर हुई भूमि पर भराव, निर्माण इत्यादि विनाशकारी गतिविधियां जोरों पर है ।
गांधी मानव कल्याण सोसाइटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि उदयपुर मे कई तालाब केवल कागजो में जीवित है ।
मौके पर बडी बडी बडी इमारतें खडी हो गई है। नदियों नालों के अस्तित्व पर संकट है। ऐसे मे झीलों तालाबों का पुनरोद्धार कैसे हो पायेगा, यह विचारणीय प्रश्न है। झील प्रेमी कुशल रावल ने कहा कि झील तालाब हमारे जीवन का आधार है।
इनके नष्ट होने से हमारा भविष्य दुःखद हो जायेगा द्रुपद सिंह व मोहन सिंह चौहान ने पर्यावरण आधारित पर्यटन का सुझाव रखा।
संवाद से पूर्व बारी घाट पर श्रमदान किया गया।