उदयपुर में तीन दिवसीय ऋतु बसंत महोत्सव की धूम शुरू

 उदयपुर में तीन दिवसीय ऋतु बसंत महोत्सव की धूम शुरू

पद्मश्री कलाकार की कुचीपुड़ी नृत्य प्रस्तुति ने बांधा समा

उदयपुर, 20 मार्च। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर द्वारा प्रतिवर्ष होने वाले फागुनी रंगों के मनोहारी उत्सव तीन दिवसीय ऋतु बसंत महोत्सव की धूम सोमवार से शुरू हो गई। कला संस्कृतियों के आंगन उदयपुर के शिल्पग्राम स्थित दर्पण सभागार में महोत्सव के पहले दिन पद्मश्री वी.जयरामाराव द्वारा कुचीपुड़ी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति ने दर्शकों को सम्मोहित कर समा बांध  दिया। जयरामा राव द्वारा नृत्य निर्देशित ओमकारम का प्रदर्शन जयरामा राव एवं टीम द्वारा किया गया। इस दौरान बताया गया कि ओमकारम की आवाज रितिक देवता शिव की कॉस्मिक ऊर्जा का प्रतीक है वहीं ओमकारम का जाप मोक्ष प्रदान करता है।

जयामू जयामू ज्ञान की देवी सरस्वती की प्रशंसा मे प्रार्थना है। इसका नृत्य निर्देशन स्वर्गीय गुरु पद्मभूषण वैंपति चिन्ना सत्यम द्वारा किया गया है। इसमें कुचिपुड़ी के जनक एवं कुचिपुड़ी गांव के संस्थापक सिद्धेंद्र योगी को स्मरण किया गया है।

आरम्भ में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर की निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता की मौजूदगी में ऋतु बसंत उत्सव का शुभारंभ विघ्नहर्ता की छवि के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय लेखक-निर्देशक-निर्माता राजन खोसा थे। कार्यक्रम के अंत में पद्मश्री जयरामा राव अन्य कलाकारों का सम्मान किया गया।

जब साकार दिखा हिरण्यकश्यप:
कुचिपुड़ी यक्षगानम में नृत्य प्रदर्शन प्रहलाद नाटकम पर आधारित रहा, जिसमें राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को दरबार में जाते हुए दिखाया गया। इस नृत्य प्रदर्शन में गीत के बोलो में हिरण्यकश्यप का वर्णन किया गया ।

इसी प्रकार दुर्गा तरंगम यति नारायणा तीर्थ की रचना की प्रस्तुति में दुर्गा तरंगम से पूर्व श्लोक पढ़ा गया तथा इसके बाद पीतल की थाली की किनारों पर नृत्य किया गया जो परमात्मा एवं आत्मा के मिलन का प्रतीक है।

द्रोपदी के अपमान को शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति से किया साकार :
इस मौके।पर “आज आए श्याम मोहन रास मंडल खेलने“ महाराजा स्वाति तिरुमल की हिंदी रचना की प्रस्तुति दी गयी। इसमें कौरव सभा में दुशासन द्वारा द्रौपदी के अपमान एवं भगवान श्री कृष्ण द्वारा द्रौपदी को बचाने के लिए असीमित लंबाई वाले वस्त्र प्रदान करना दर्शाया गया ।

तिल्लाना से हुआ समापन:
पहले दिन की प्रस्तुतियों का समापन तिल्लाना से हुआ। तिल्लाना कर्नाटक संगीत कला की लयबद्ध रचना है। तिल्लना में समूह द्वारा यमुना नदी में भगवान श्री कृष्ण की कालिया नाग पर  विजय का एपिसोड प्रस्तुत किया गया।

मंगलवार को होगी यह प्रस्तुतियां
 पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर की निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि मंगलवार को शाम 5 बजे डांस ऑफ द विंड राजन खोसा द्वारा लिखित और निर्देशित एक फीचर फिल्म की स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके बाद मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की जन्म से लेकर मृत्यु तक के जीवन को दर्शाने वाली डॉक्यूड्रामा फिल्म यादें बिस्मिल्लाह की स्क्रीनिंग  की जाएगी  जिसमें हरीश भिमानी ने अपनी आवाज में कहानी सुनाई है। प्रसिद्ध पुरस्कार विजेता निर्देशक शुभंकर घोष द माएस्ट्रो की कहानी के कुछ अंशों का वर्णन करेंगे।इसके बाद उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की पसंदीदा रागों का परफॉर्मेंस होगा।

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