वीकेंड पर मिल जाती है शराब पिलाने की परमिशन, पर लेट नाईट खाने का कोई विकल्प नहीं

 वीकेंड पर मिल जाती है शराब पिलाने की परमिशन, पर लेट नाईट खाने का कोई विकल्प नहीं
  • नाईट लाइफ को तरसता उदयपुर का फ़ूड बिजनेस
  • धड़ल्ले से चलते वीकेंड बार
  • 10,000रु में मिल जाती है शराब पिलाने की परमिट

अभी हाल ही में सुखेर स्थित एक रेस्टोरेंट पर आधी रात के बाद पुलिस कार्यवाही हुई, म्यूजिक और मस्ती के बीच ड्रिंक्स का मज़ा लेते लोगो में एक बार तो खलबली मच गई. पुलिस को सूचना थी कि वहां कई गैरक़ानूनी काम हो रहे है, पर निकला सबकुछ कानून के अन्दर, सिवाय इसके कि तेज़ आवाज़ में साउंड बजाया जा रहा था, जिसका पुलिस ने मामला दर्ज भी किया, साउंड सिस्टम भी जब्त किया. खेर….

पर इन सब के बीच एक बहुत ही आश्चर्यजनक बात सामने आई, जिस रेस्टोरेंट पर छापा मारा उसके पास आबकारी विभाग द्वारा वीकेंड पर शराब पिलाने का वैध पर अस्थाई लाइसेंस था. अब तक तो यही सुना था कि जिन रेस्टोरेंट के पास लाइसेंस होता है वह हर दिन शराब सर्व करते है और उन्हें “बार” कहा जाता है.

यह weekend only या टेम्पररी बार का लाइसेंस कैसे मिलता है? फिर तो कोई भी अपनी प्रॉपर्टी पर व्यावसायिक गतिविधियों के रूप में हर शनिवार रविवार एक बार बना सकता है. और यही हो भी रहा है, जो रेस्टोरेंट सप्ताह में 5 दिन सिर्फ रेस्टोरेंट है वे मात्र 10000रु (लीगल फीस ) जमा करवा कर शनिवार रविवार को डांस बार भी बन जाते है.

इससे हमे क्या आपत्ति है ? नहीं कोई आपत्ति नहीं, पर एक सवाल मन में उठता है.

कि एक आम मिडिल क्लास शहरी, या पर्यटक यदि आधी रात को उदयपुर में कुछ खाना चाहे तो उन्हें क्या मिलेगा?

अजी भूख है, कभी भी लग सकती है, पर यहाँ आधी रात के बाद आप खाना ढूढ़ते हुए कही पुलिस के सामने आगये तो ज़रूर कुछ खाने का मिल जायेगा.

पर्यटन नगरी में वीकेंड में रेस्टोरेंट यदि बार बन सकते है, उन्हें 12 बजे तक दारू पिलाने की परमिशन मिल सकती है तो क्या सुखाडिया सर्किल या फतहसागर पर बनी मुम्बईया बाज़ार रात 12 बजे या उसके बाद भी आम जनता को खाना नहीं खिला सकती? क्यूँ स्विगी जोमाटो द्वारा सिर्फ 10.30 या 11 बजे तक आर्डर किया जा सकता है? जबकि बड़े शहरों में वीकेंड पर रात 1 या 2 बजे तक आर्डर किये जा सकते है?

उदयपुर में नाईट लाइफ के नाम पर शराब के नशे में गाड़ियाँ दौड़ते युवा है, और भूख से मजबूर पर्यटक. प्रशासन से हमारा अनुरोध है कि रेस्टोरेंट, स्ट्रीट फ़ूड को भी वीकेंड में देर तक संचालन करने की परमिशन दी जाए या वीकेंड पर अस्थाई बार की परमिशन पर विचार किया जाए.

व्यवसाय आम जनता की ज़रूरत पर चलना चाहिए, न कि सिर्फ व्यवसायिक स्वार्थ के लिए.   

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उपरोक्त विचार लेखक के निजी है, यह किसी संस्था या उसके विचार को प्रतिबिंबित नहीं करते.

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