सवाईकल कैंसर में भारतीय एचपीवी वैक्सीन को बढ़वा जरूरी

 सवाईकल कैंसर में भारतीय एचपीवी वैक्सीन को बढ़वा जरूरी

ट्रेण्ड्स ऑफ ट्रांसफोशन इन ऑन्कोलॉजी सम्मलेन नवाचारों और सहमति के साथ सम्पन्न

उदयपुर। भारत में महिलाओं में सवाईकल कैंसर 6 से 29 प्रतिशत तक कैंसर रोगियां में सामने आता है, इससे बचाव के लिए के लिए टीका उपलब्ध है और भारत में भी एचपीवी वैक्सीन बन गयी है। भारतीय एचपीवी वैक्सीन को बढ़ावा देने और उसके दुरूपयोग को रोकने के प्रयास किये जाने चाहिए । ये विचार ट्रेण्ड्स ऑफ ट्रांसफोर्मेशन इन ऑन्कोलॉजी इण्डियन पर्सपेक्टिव सेमीनार के अंतिम दिन मुख्य रूप से सामने आए।

पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भीलों का बेदला, आईकॉन और मेनकेन फाउण्डेशन के साझेदारी में तीन दिवसीय कैंसर रोग विशेषज्ञों का सम्मलेन इम्यून थैरेपी को किफायती दरों में भारत के मरीजों को सुलभ करवाने के लिए आम सहमति के साथ सम्पन्न हुआ।

पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कैंसर रोग विशेषज्ञ और प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. मनोज महाजन ने बताया कि तीसरे दिन साइंटिफिक सेशन के तहत ओवेरियन कैंसर से प्रभावित महिलाओं की उचित काउंसलिंग और नवीन तथा प्रभावी तरीकों पर पेपर प्रस्तुत किये गये। ब्लड कैंसर में सीएमएल टाइप के 80 प्रतिशत मरीज 10 जीवित रहते हैं तो उनका प्रतिशत तथा उनकी जिन्दगी को किन उपचार तकनीकों से बढ़ाया जाए, इस पर विचार रखे गये।

ब्लड कैंसर के एक रूप मायलोमा जो कि प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करती है उन मरीजों में टारगेटेड थैरेपी का उपयोग कैसे किया जाए और अधिक सफलता प्राप्त करने पर विचार विमर्श किया गया। आंत के कैंसर में भारत में अपनाए जाने वाले उपचारों और यूरोपियन देशों में उपलब्ध प्रभावी तकनीकों को भारत में उपयोग में लाने पर विचार रखे गये। तिरूपति कॉलेज ऑफ नर्सिंग के संयुक्त तत्वावधान में दूसरे दिन योग सेशन का आयोजन किया गया था।

पेट्रोन हेमन्त मलहोत्रा ने बताया कि भारत में कैंसर रोगियों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है ऐसे में इसके उपचार में हो रहे नवाचारों की जानकारी चिकित्सकों को होना जरूरी है। इस सम्मेलन में मुख्य रूप में इम्युनोथैरेपी को रियायती दरां में भारत के मरीजों को उपलब्ध करवाने पर जोर दिया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को इसका लाभ मिल सके।

पेट्रोन पुरविश पारिख ने कहा कि कैंसर के ज्यादातर मामलों में मरीज को तीसरे या चौथे पर पता चलता है इस कारण वे घबरा जाते हैं। अगर मरीज इसके लक्षणों को समय पर पहचान लें तो एक्सपर्ट सलाह से उपचार संभव है।

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