कैंसर विज्ञान क्रांफ्रेस का दूसरा दिन स्तन कैंसर पर रहा केन्द्रित

 कैंसर विज्ञान क्रांफ्रेस का दूसरा दिन स्तन कैंसर पर रहा केन्द्रित

स्तन कैंसर से घबराएं नहीं, लक्षण पहचानें उपचार संभव है

उदयपुर। कैंसर रोग की भारत में स्थिति और उसके उपचार को लेकर पारम्परिक और नयी तरीकों के बारे में चर्चा करने के लिए आयोजित ट्रेण्ड्स ऑफ ट्रांसफोर्मेशन इन ऑन्कोलॉजी इण्डियन पर्सपेक्टिव सेमीनार के दूसरे दिन स्तन कैंसर पर विशेष चर्चा की गयी।

भारत में महिलाओं में सबसे अधिक सामने आने वाले स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता लाने के लिए फतहसागर की पाल पर देशभर के कैंसर रोग विशेषज्ञों और शहरवासियों ने ट्रेण्ड्स ऑफ ट्रांसफोर्मेशन के तहत योग किया और स्तन कैंसर से मुक्ति के लिए कदम बढ़ाने का संकल्प लिया ।

सम्मलेन का उद्घाटन सीएमएचओ डॉ. शंकर बामनिया, आईएमए उदयपुर अध्यक्ष डॉ. आनन्द गुप्ता और जोनल डायरेक्टर डॉ. जुल्फिकार काज़ी ने किया ।

पेट्रोन डॉ. पुरविश पारिख, डॉ. हेमन्त मलहोत्रा, डॉ. शैलेश तलाटी, प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. मनोज महाजन, सांइटिफिक चैयरपर्सन डॉ. विजय पाटिल ने लोगों को कैंसर रोग में योग के महत्व पर जानकारी दी और अपने घर में महिलाओं को जागरूक करने तथा लक्षण दिखने पर डॉक्टर से परामर्श लेने की जोर दिया ।

पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कैंसर रोग विशेषज्ञ और प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. मनोज महाजन ने बताया कि भारत में हर चार मिनिट में एक स्तन कैंसर मरीज सामने आता है और कैंसर के सभी मामलों में 14 प्रतिशत स्तन कैंसर के मरीज होते हैं। स्तन कैंसर के बारे में जानकारी के अभाव में ज्यादातर मरीजों को ये तीसरे या चौथे चरण में इसके बारे में पता चलता है।

दूसरे दिन साइंटिफिक सेशन के तहत स्तन कैंसर को डायग्नोज करने की पुरानी तकनीकों के अलावा नयी विधियों, मरीज की काउंसलिंग करने तथा स्तन कैंसर की प्राथमिक अवस्था में किमोथैरेपी की आवश्यकता नहीं होने जैसे विषयों पर डॉ. जय मेहता, डॉ. मल्लिका दीक्षित, डॉ. सुरेश सिंह, डॉ. अंकित अग्रवाल, डॉ. मनीष गौतम, डॉ. सचिन जैन ने अपने पेपर प्रस्तुत किये । विशेषज्ञों ने कहा कि स्तन कैंसर को प्राथमिक स्तर पर डायग्नोज करने पर किमोथैरेपी की जरूरत नहीं होती है ।

इस कैंसर के प्रति महिलाओं में काफी डर व्याप्त है लेकिन समय पर जांच और उपचार से इस कैंसर से बचा जा सकता है। एडवांस स्टेज के स्तन कैंसर में भी टेबलेट से बचाव कैसे किया जा सकता है और मरीज को टेबलेट के उपयोग के बारे में परामर्श के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इस बारे में भी विशेषज्ञों ने विचार रखे गये।

यहां चिकित्सकों ने कहा कि विद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही इस कैंसर के बारे में जानकारी दी जाए तो लक्षणों के आधार पर इसके मरीजों की पहचान प्राथमिक स्तर पर ही हो जाएगी तथा मरीजों की संख्या भी कम हो सकती है। समय पर जांच और एक्सपर्ट उपचार से मरीज की जान बचायी जा सकती है।

दूसरे सेशन में विशेषज्ञ डॉ. नरेश सोमानी, डॉ. मल्लिका दीक्षित, डॉ. कुणाल जैन, डॉ. गौरांग मोदी, डॉ. अभिषेक कुकरो और डॉ. ललित शर्मा ने लंग यानि फैफड़ों के कैंसर के इलाज में इम्युनोथैरेपी से अधिक सफलता कैसे मिल सके तथा किन मरीजों में ये कारगर साबित हो सकती है इस पर विचार रखे।

फैफड़ों के कैंसर को जटिल माना जाता है ऐसे में मरीज की जिन्दगी को कैसे बढ़ाया जा सके इसकी उपचार तकनीकों पर विशेष सुझाव दिये गये। एक्सपर्ट डॉक्टर्स ने कहा कि लंग कैंसर के बारे में लोगों को अक्सर एडवांस स्टेज में ही पता चलता है इस कारण वे घबरा जाते हैं।

डॉ. अमोल पटेल, डॉ. हेमन्त दाधिच ने पुरूषों में अधिक सामने आने वाले मुंह और गले के कैंसर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके सभी मरीजों में एक ही उपचार कारगर नहीं है मरीज के केस को देखते हुए से किमोथैरेपी  या इम्युनोथैरेपी दी जाए इस पर विचार किया जा सकता है। अगर तंबाकु और धुम्रपान के सेवन को बंद कर दिया जाए तो इस कैंसर पर लगाम लगायी जा सकती है।

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