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आयड़ नदी पेटे में हो रहे ‘विकास’ कार्यो पर एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट को किया अस्वीकार

 आयड़ नदी पेटे में हो रहे ‘विकास’ कार्यो पर एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट को किया अस्वीकार

उदयपुर, 20 जुलाई,  स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा आयड नदी के मूल स्वरूप मे बदलाव कर उसके पेटे मे  कंक्रीट बिछाकर पत्थरों के चौके लगाने पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एन जी टी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने जिला कलेक्टर उदयपुर, जल संसाधन विभाग, उदयपुर तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की कमिटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया है। इसके स्थान पर एन जी टी ने नई कमिटी का गठन किया है। 

विदित हो कि झील संरक्षण समिति जरिये डॉ तेज राज़दान द्वारा प्रस्तुत आयड नदी याचिका पर एन जी टी न्यायालय ने उक्त स्थानीय संयुक्त कमिटी को तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे।

इस कमिटी ने आयड पेटे मे हो रहे कार्यों को जायज ठहराते हुए 17 अप्रेल 2023 को रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

समिति की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल चौधरी ने इस रिपोर्ट की तकनीकी व विधिक खामियों को इंगित करते हुए आपत्ति जताई कि संयुक्त कमिटी में शामिल जिला कलेक्टर उदयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड बोर्ड के सदस्य भी हैं । इस स्थिति मे कमिटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

एन जी टी न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल व विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफ़रोज़ अहमद की बेंच ने इस पर संज्ञान लेते हुए कहा कि नदी तल के कंक्रीटीकरण का कार्य पर्यावरण से संबंधित एक महत्वपूर्ण व गंभीर मुद्दा है । बेंच ने पूर्व रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए नवीन रूप रूप से तथ्यात्मक आँकलन के निर्देश दिये हैं । इसमे राज्य सरकार की किसी भी एजेंसी को सम्मिलित नही किया गया है।

नई गठित कमिटी मे पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय अधिकारी, रुड़की विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा नामित रिवर हाइड्रोलोजी विशेषज्ञ,  केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( सी पी सी बी) के प्रतिनिधि तथा केंद्रीय जल आयोग, भारत सरकार द्वारा नामित रिवर हाइड्रोलोजी विशेषज्ञ सम्मिलित किये गए है।

सीपीसीबी इस कार्य के समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगी तथा लॉजिस्टिक और वित्तीय सहायता प्रदान करेगी ।

नई संयुक्त कमिटी पुला से सेवाश्रम के बीच के आयड नदी के बाढ़ क्षेत्र मे कंक्रीटीकरण पर झील संरक्षण समिति द्वारा उठाए गए मुद्दों पर एक महीने के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। कमिटी   स्मार्ट सिटी द्वारा कराये जा रहे कार्य से वर्षा काल मे नदी की वहन क्षमता में कमी,  इससे उदयपुर शहर में अचानक बाढ़ की संभावना में वृद्धि,  कंक्रीटीकरण से नदी फैलाव मे कमी होकर प्रवाह में वृद्धि,   भूजल पुनर्भरण क्षमता में कमी और नदी फ्लड प्लेन को किसी भी स्थायी विकास और गैर-विकास से मुक्त रखते हुए सीमांकन जैसे विषयों पर एक माह के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। आगामी सुनवाई 28 अगस्त को होगी।

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