सज्जनगढ़ वन्य जीव अभ्यारण के ईको सेंसिटिव जोन मे डीजे, पटाखे नही चलें –  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट का आदेश

 सज्जनगढ़ वन्य जीव अभ्यारण के ईको सेंसिटिव जोन मे डीजे, पटाखे नही चलें  –  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट का आदेश

झील प्रेमी डॉ अनिल मेहता की याचिका पर हुई सुनवाई: झीलों के आसपास शोर, पटाखों, डी जे इत्यादि पर NGT का निर्णय

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उदयपुर के शिक्षाविद एवं झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता द्वारा उदयपुर के झील क्षेत्र में हो रहे ध्वनी प्रदुषण पर रोकथाम हेतु याचिका दायर की गई थी जिसपर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेंट्रल ज़ोन बेंच भोपाल द्वारा कमिटी का घठन कर रिपोर्ट मांगी गई थी. बेंच ने निर्णय लेते हुए प्रशासन को उदयपुर में हो रहे ध्वनि प्रदुषण रोकने का आदेश जारी किये है.

याचिका पर नई दिल्ली के एडवोकेट मैत्रेय पृथ्वीराज घोरपडे ने उदयपुर की एडवोकेट भाग्यश्री पंचोली के साथ मिल मजबूती से पक्ष रखा था, जिसपर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन जी टी ) ने एक कमिटी का गठन कर रिपोर्ट देने को कहा था । कमिटी मे वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार प्रतिनिधि, पर्यावरण विभाग राज्य सरकार प्रतिनिधि, कलेक्टर उदयपुर, राजस्थान वेटलैंड ऑथोरिटी प्रतिनिधि,  नगर निगम प्रतिनिधि और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रतिनिधि सम्मिलित थे ।

एन जी टी ने आदेश दिया है कि कमिटी द्वारा तैयार अनुषंशाओं को तुरंत लागू किया जाए. डॉ अनिल मेहता ने बताया कि शोर प्रदूषण पर एन जी टी का यह फैसला पूरे देश मे शोर प्रदूषण नियंत्रण मे एक मील का पत्थर साबित होगा ।

आदेश के अनुसार पूरे देश के संदर्भ मे  सी पी सी बी – केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल से पटाखों, बारातों, वाहनों के हॉर्न, लाउड स्पीकर, इनसे हो रहे शोर पर होने वाली शिकायतों के बारे मे विशेष प्रोटोकॉल बनाने पर विचार करने को कहा गया है। बेंच ने निर्देश दिए कि सीपीसीबी शोर प्रदूषण पर जन परिवेदना दर्ज करने के लिए एक एप बनाने पर विचार करें जिस पर शिकायत कर्ता वीडियो, जी पी एस लोकेशन, फोटो अपलोड कर सके। शिकायत स्वत: संबंधित थानाधिकारी तक पंहुचे, बीट कोंस्टेबल शोर मापक मीटर लेकर लोकशन पर पंहुचे और यदि शोर निर्धारित सीमा से अधिक है तो उस पर कार्यवाही करें ।

उदयपुर के लिए क्या है आदेश?

  • राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल से सलाह लेते हुए फतेह सागर किनारे के सभी होटल अपने यंहा शोर स्तर मापक मीटर लगाएं जो सी सी टी वी से जुड़े हों. यदि सीपीसीबी एप बना लेता है तो मीटर की रीडिंग इस एप पर रहे ताकि आम जन भी शोर स्तर को देख सके।
  • सभी होटल अपने मुख्य द्वार पर एक डिसप्ले बोर्ड लगाए जिस पर यह प्रमाणित करे कि उनके होटल मे शोर प्रदूषण नही है, डिसप्ले बोर्ड पर शोर प्रदूषण के दुष्प्रभावों को भी लिखे.
  • उदयपुर की सभी झीलों के आसपास निगम व प्रन्यास बोर्ड लगाकर शोर प्रदूषण के दुष्प्रभावों पर सभी को जागरूक करें, तकनीकी मार्गदर्शन से निगम आवासीय, व्यवासायिक, शांत (साइलेंस) क्षेत्रों का शीघ्र निर्धारण करेगा ।
  • निर्णय में यह भी बताया गया कि हर थाने के पास शोर प्रदूषण स्तर मापक मीटर हो, धार्मिक जुलूसों, बारातों मे वाहनों पर लगे  डीजे सिस्टम पर प्रतिबंध होगा, इसकी पालना पुलिस करवाए ।
  • सज्जनगढ़ वन्य जीव अभ्यारण के ईको सेंसिटिव जोन मे डीजे, पटाखे नही चले।  खुले मेरिज गार्डन मे शोर-कारी संगीत,  ढोल नगाड़े इत्यादि नही बजेगा,  केवल बंद हॉल मे जंहा साउंड प्रूफिंग है, वंही बजाए जाए ।
  • साथ ही लेजर लाइट, स्पॉट लाइट पर प्रतिबंध रहे, फतेह सागर के चारों ओर तथा सज्जनगढ़ वन्य जीव अभ्यारण के ईको सेंसिटिव जोन मे सी सी टी वी केमरे लगे.

एन जी टी के जज शिव कुमार सिंह तथा अरुण कुमार वर्मा ने आदेश मे कहा कि एक्सपर्ट रिपोर्ट को लागू कर 17 मई को अनुपालना से अवगत कराया जाए । यदि कलेक्टर तथा निगम को अनुपालना मे कठिनाई है तो एन जी टी को अवगत कराये.

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