पारिस्थितिकी, पेयजल व पर्यटन के लिए झील- तालाब, वेटलैण्डस को बचाना जरुरी : झील प्रेमी

 पारिस्थितिकी, पेयजल व पर्यटन के लिए झील- तालाब, वेटलैण्डस को बचाना जरुरी : झील प्रेमी

उदयपुर. झील संरक्षण समिति की और से रविवार को झील संवाद में कार्यक्रम हुआ जिसमें झीलों की बिगड़ती स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। झील संरक्षण समिति से जुड़े विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि अरावली की चिरवा घाटी में स्थित उदयपुर की वेटलैंडस पारिस्थितिकी, पेयजल, पर्यटन तीनों का मुख्य आधार है।

जैव विविधता का पोषण करने वाले उदयपुर के बड़ी तालाब, मदार, पिछोला, फतेहसागर, गोवर्धन सागर, उदयसागर वेटलैण्ड उदयपुर को आर्थिक, सामाजिक व पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित बनाते हैं। इन्ही वेटलैंड के कारण यहां का तापक्रम अनुकूल बनता है।

मेहता ने कहा कि भू व्यवसाइयों के निजी स्वार्थों के दबाव व प्रलोभन में नही आते हुए व्यापक जन हित, जीव हित, कानून हित में इन वेटलैण्ड को उनके मूल नैसर्गिक स्वरूप में लौटना चाहिए। झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा विगत पचास वर्षों में हमने इन जीवनदायिनी वेटलैंड के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया है।

कई तालाबों का तो अस्तित्व ही नही है। झीलों के किनारों को खत्म किया गया है तथा उनकी मूल उच्चतम भराव तल जल्( एम डब्लू एल) सीमा को कम कर दिया गया है। उनमें कचरा, गंदगी का विसर्जन हो रहा है। झीलों पर हो रहे आघातों को रोकना ही होगा। अन्यथा, उदयपुर का भविष्य संकट में पड़ जाएगा।

गांधी मानव कल्याण सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि कठोर चट्टानों वाले उदयपुर क्षेत्र में हर कहीं से जमीन में पानी नही पंहुच सकता। लेकिन रूप सागर, नेला, मंडोपा, तितरडी, फूटा, जोगी जैसे कई तालाब भूजल पुनर्भरण द्वारा जमीन में पानी के खजाने को बनाये रखते हैं। इन्हें नही बचाया गया तो उदयपुर मरुस्थल बन जायेगा।

अभिनव संस्थान के निदेशक कुशल रावल ने कहा कि स्मार्ट सिटी बनने जा रहे उदयपुर के नागरिको को झील तालाब संरक्षण व संवर्द्धन के लिए। सामूहिक प्रयास करने होंगे। पर्यावरण व पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा से ही उदयपुर स्मार्ट बनेगा।

झील प्रेमी द्रुपद सिंह, रमेश चंद्र राजपूत, मोहन सिंह ने कहा कि राजनीतिक दलों को इन वेटलैंड्स को बचाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए तथा तथा सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, एनजीटी के निर्देशों की शीघ्र पालना के लिए राज्य सरकार व प्रशासन के स्तर पर दबाव बनाना चाहिए।

संवाद से पूर्व झील घाट पर श्रमदान किया गया। श्रमदान में नवीन पोद्दार, मोहन सिंह, रमेशचंद्र राजपूत, द्रुपद सिंह, कुशल रावल, तेज शंकर पालीवाल, अनिल मेहता, नन्द किशोर शर्मा सहित स्थानीय रहवासियों ने भाग लिया।

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