हमेरपाल : मछली बुला रही है
अगर आपको वह बचपन की “मछली जल की रानी” याद है तो मछलियों को करीब से देखने की इच्छा कभी तो हुई ही होगी। एक दो मछलियां नहीं पूरा मछलियों का ब्रिज देखना है तो आप आइये हमेरपाल।
आपके हाथ में मछलीदाना देखकर मानो मछलियां नो नो कोस उछलेगी। ये स्थान कुम्भलगढ़ से करीब 9 किमी और उदयपुर से करीब 75 किमी दूर है।
एक ग्रामीण से पूछने पर उसने बताया कि कई सालों पहले यहां एक ठेकेदार ने मछलियां डाली थी और बाद में ग्रामीणों ने अपना प्रेम दिखाते हुए इनको सहेजकर रखा। तब से ही ये मछलियां हमेरपाल की पर्याय मानी जाती है।
हम यानी हमारी पूरी मित्र मंडली भी इस क्षेत्र को देखने को काफी उत्सुक थी इसलिए रास्ते में 4 जगह गाड़ी रोककर पूछा तो बोले-कौन वो मछलियों वाला गांव। वाकई ग्रामीणों का मछली प्रेम के बारे में सुनकर हमारा रोमांचित होना लाजमी था। गाड़ी आगे बढ़ी तो गुजराती पर्यटकों का जमावड़ा लगा था मानो मछलियां कूद कूद कर न्योता दे रही हो।
खेर अच्छी बात ये है कि इन मछलियों के प्रति ग्रामीण बड़े सजग रहते है। मछलियों को परेशान करना इनके लिए बगैर माफी वाला गुनाह है। इसलिए आप यहां आए तो खुद सावधान तो रहे ही मगर दूसरी बात ये है कि आप मछलियों को हैरान परेशान न करें।
नो-नो कूदती मछलियां आपके रोमांच को और रोमांचित करने की गारंटी देती है। आप यहां जब कभी जाए वहां से कुछ खरीद ले और मछलियों को जरूर खिलाकर आये। ताकि मछलियों का भला हो और ग्रामीणों को रोजगार मुहैया हो। फिलहाल इस जगह को फिश पॉइंट कहा जाता है मगर मैं इसको मछलियों वाला गांव कहना ज्यादा उचित समझूंगा। आप को भी मछलियों बुला रही है जरूर जाएं…….
सुनील पण्डित (ब्लॉगर, पत्रकार और लेखक)