स्वामी विवेकानंद जयंती (12 जनवरी) पर विशेष

 स्वामी विवेकानंद जयंती (12 जनवरी) पर विशेष

स्वामी विवेकानंद के विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता

स्वामी विवेकानंद एक महान चिंतक, दार्शनिक व समाज सेवक थे। रामकृष्ण परमहंस उनके गुरु थे जिनकी उन्होंने तन मन के साथ ऐसी सेवा की की आज की युवा पीढ़ी के लिए एक उदाहरण स्वरूप है। उन्होंने रामकृष्ण परमहंस के विचारों को आगे प्रचारित एवं प्रसारित किया तथा रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

जैसा कि विदित है कि उन्होंने अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया तथा अमेरिका ,यूरोप व ब्रिटेन जैसे देशों में सनातन धर्म की गहनता को दुनिया से परिचित करवाया। वह एक प्रभावी वक्ता थे। उन्होंने अपने उद्बोधन से सभी धर्म गुरुओं को मंत्र मुक्त कर दिया और उसके बाद स्वामी विवेकानंद का नाम विश्व के अग्रणी आध्यात्मिक गुरु में गिना जाने लगा। वे आधुनिक वेदांत व योग के गुरु थे।

शिक्षा के बारे में उन्होंने कहा” भारतीय समाज के पुनरुत्थान के लिए पहली शर्त है शिक्षा ऐसी हो जो चरित्र निर्माण व मानवीय मूल्यों को विकसित करने का माध्यम बन सके” ।

उनके अनुसार सभी जीवों में परमात्मा का अस्तित्व है अर्थात जीव मात्र की सेवा परमात्मा की सेवा के तुल्य है। मानव जाति के प्रति प्रेम किसी भौगोलिक सीमाओं में नहीं बंधे हुए हैं। सभी देशों के बीच सद्भाव व अच्छे संबंधों की बात कही।शिक्षा के माध्यम से हमें असमानता, अलगाव , ऊंच- नीच की भावनाओं से ऊपर उठकर मानवता व भाईचारे के संदेश को आत्मसात करना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद के ये विचार व चिन्तन आज ज्यादा प्रासंगिक हैं। उन्होंने जाति- धर्म से परे मानवता का संदेश दिया ,विशेष कर युवाओं को। आज विश्व में कई देश अपने धर्म और कट्टरता को लेकर लड़ रहे हैं । विश्व तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर खड़ा है, ऐसे में स्वामी विवेकानंद के विचारों को पुनः प्रसारित करने की आवश्यकता है।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार युवाओं में अनंत ऊर्जा है जो राष्ट्र को नई दिशा दे सकती है। युवावस्था जीवन का स्वर्ण काल है, यह समय तय करता है कि वह आगे भविष्य में क्या बनेगा।युवाओं के लिए उनका मंत्र था “उठो ,जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य तक ना पहुंच जाओ”। उन्होंने युवाओं से कहा वीर, साहसी बनो, चुनौतियों से डरो मत, सामना करो। उनके अनुसार ध्यान केंद्र करने से बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करना आसान हो जाता है। साहस, धैर्य ,निरंतरता व मनोयोग से ही बाधाओं को पार किया जा सकता है।

देश के प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को युवाओं की ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करने की दिशा में सोचना चाहिए। हमारे नेताओं, शिक्षकों एवं अभिभावकों को कुछ ऐसा प्रयास करना चाहिए कि कोई युवा बेरोजगार नहीं रहे, उसकी अनन्त ऊर्जा नष्ट न हो, विनाशकारी ना बने, आपराधिक प्रवृति की ओर उनकी ऊर्जा भटक न जाए। उनकी रचनात्मकता का भरपूर उपयोग किया जा सके। युवाओं में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति हर देश के लिए चिन्ता का विषय है ,इसे साधने के लिए युवा शक्ति को सकारात्मकता की ओर मोड़ना आवश्यक है, इसके लिए नए रोजगार सृजित किया जाए, स्वरोजगार के नये रास्ते व अवसरों से अवगत कराया जाए।

युवाओं की अनंत ऊर्जा को सही दिशा नहीं मिलने पर अवसाद जैसी स्थितियां उभरती हैं।

ऐसी नकारात्मक स्थितियों स्वयं युवा के लिए तथा समाज के लिए घातक हैं। यह भी एक चिंता का विषय है कि युवाओं में मानसिक अस्वस्थता की स्थितियां तेजी से बढ़ रही हैं।

अतः युवाओं में छिपी जन्म जात शक्तियों को पहचानना तथा सही दिशा दिखाने की तरफ विद्यालयों को कदम उठाना चाहिए । विद्यालयों में विवेकानंद जयंती ( 12 जनवरी) ‘केरियर डे’ के रूप में आयोजित की जाती है। केरियर संबंधित प्रदर्शनी या केरियर पर व्याख्यान करके इतिश्री करना पर्याप्त नहीं है। प्रत्येक विद्यालय में निर्देशन एवं परामर्श सेवाएं प्रशिक्षित परामर्श दाता द्वारा वर्ष पर्यंत चलें तो युवाओं को इसका पूरा लाभ प्राप्त हो सकेगा।

स्वामी विवेकानंद की तार्किक शक्ति एवं वैज्ञानिक विश्लेषण भी गजब का था।

39 वर्ष की अल्प आयु अवधि में वे संसार छोड़कर चले गए पर उनके आध्यात्मिक विचार आज भी देश को ही नहीं अपितु विश्व के लिए प्रासंगिक हैं।

लेख

sushma talesra

डॉक्टर सुषमा तलेसरा,
पूर्व प्राचार्य, विद्या भवन शिक्षक महाविद्यालय।
उदयपुर।

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