सीएसआर मद की राशि जिला पर्यावरण समिति को जमा करानी चाहिए : डॉ. अफरोज अहमद

 सीएसआर मद की राशि जिला पर्यावरण समिति को जमा करानी चाहिए : डॉ. अफरोज अहमद

उदयपुर 20 जून। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद ने कहा है कि विभिन्न औद्योगिक संस्थाओं द्वारा सीएसआर मद की राशि आमतौर पर गैर पर्यावरणीय कार्यों पर व्यय की जा रही है, एनजीटी का प्रयास है कि इस राशि को जिला कलक्टर की अध्यक्षता वाली जिला पर्यावरण समिति के खाते में दर्ज कराने का आदेश जारी किया जाए ताकि कलक्टर के निर्देशानुसार इस राशि का सदुपयोग पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन संबंधित कार्यों में हो पाए। उन्होंने उदयपुर जिले से इस तरह का प्रस्ताव तैयार कर अनुमोदन के लिए राज्य स्तर पर भेजने के भी निर्देश दिए।  

डॉ. अहमद मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिला प्रशासन के विभिन्न अधिकारियों के साथ एनजीटी संबंधित प्रकरण व डिस्ट्रिक्ट इन्वायरन्मेंट प्लान के संबंध में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे।

बैठक के आरंभ में कलक्टर ताराचंद मीणा ने डॉ. अहमद का स्वागत किया और जिले में पर्यावरण संरक्षण-संवर्धन, झीलों को प्रदूषणमुक्त रखने और अन्य नवाचारों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि जिले में डीएमएफटी मद से 25 करोड़ रुपयों की राशि सिर्फ वनों को दावानल से बचाव तथा पर्यावरण संरक्षण संबंधित कार्यों के लिए स्वीकृत की है।

पर्यावरण साझी विरासत, बचाने की जिम्मेदारी भी साझी :

बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. अहमद ने कहा कि पर्यावरण हमारी साझी विरासत है, ऐसे में इसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी साझी है। उन्होंने कहा कि जिला, गांव व पंचायत स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के जिस तरह से कार्य हो रहे हैं, उससे प्रतीत हो रहा है कि संरक्षण का उद्देश्य पूरा हो रहा है। इस दौरान उन्होंने अरावली को बचाने की जरूरत बताई और कहा कि विकास व पर्यावरण दोनों को साथ लेकर चला जा सकता है।

शहर की झीलें हिस्टोरिक वेटलैंड घोषित हो :

डॉ. अहमद ने हाल ही में उदयपुर के मेनार जलाशय को वेटलेंड घोषित किए जाने पर खुशी जताई और कहा कि शहर की झीलों को हिस्टोरिक वेटलेंड घोषित किया जा सकता है। उन्होंने इस संबंध में कार्यवाही के लिए जिला कलक्टर ताराचंद मीणा से आह्वान किया और कहा कि ऐसा होने से शहर की झीलों को जीवनदान मिलेगा।  

पौधरोपण में भी जीओ टेगिंग हो :

बैठक दौरान डॉ. अहमद ने जिले के पौधरोपण कार्य के बारे में जानकारी ली जिस पर डीएफओ सुपांग शशि ने जिले के 4 हजार हेक्टेयर में प्लांटेशन के बारे में बताया। इस पर डॉ. अहमद ने पूछा कि जीओ टेगिंग होती है क्या ? डीएफओ ने नहीं में जवाब दिया तो डॉ. अहमद ने कहा कि यूपी ने प्लांटेशन में जीओ टेगिंग शुरू कर दी है आप भी शुरू कीजिए ताकि पौधे सुरक्षित रह सकें व उनके रोपने का उद्देश्य पूरा हो सके।

कलक्टर की संवेदनशीलता की सराहना की :  

बैठक दौरान डॉ. अहमद ने पर्यावरण संरक्षण के संबंध में जिला कलक्टर ताराचंद मीणा के विजन की तारीफ की और कहा कि मीणा को पर्यावरण व संरक्षण के मुद्दों की जमीनी जानकारी है, जो कि शहर व जिले के हित में हैं। उन्होंने मीणा द्वारा किए जा रहे कार्यों की भी सराहना की।

बैठक दौरान जिला परिषद सीईओ सलोनी खेमका, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के संभागीय अधिकारी शरद सक्सेना, नगर निगम आयुक्त वासुदेव मालावत, जिला पर्यावरण समिति के सदस्य सचिव व डीएफओ सुपांग शशि, पर्यटन डीडी शिखा सक्सेना, खनि अभियंता पिंक राव सिंह, पायल पंचोली, मुकेश पुजारी आदि ने विभागीय गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

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