उपकार मसालें के मालिकाना हक का फैसला जाकिर हुसैन के पक्ष में

 उपकार मसालें के मालिकाना हक का फैसला जाकिर हुसैन के पक्ष में

उदयपुर। एडीजे न्यायालय क्र.स. 1 ने आज गत 12 वर्षो से चल रहे उपकार मसालें के मालिकाना हक के विवाद का फैसला करते हुए बड़े भाई जाकिर हुसैन कानोड़वाला के पक्ष में निर्णय सुनाया।

जयपुर से आये अधिवक्ता जी.डी.बंसल ने बताया कि विगत 12 वर्ष पूर्व जाकिर हुसैन कानोड़वाला के छोटे भाई कुतुबुद्दीन कानोड़वाला ने फर्जी हस्ताक्षर कर उपकार मसालें का मालिकाना हक जाकिर हुसैन से छिन लिया और न्यायालय में जाकिर हुसैन कनोड़वाला को उपकार मसालें से बाहर करने हेतु वाद दायर कर दिया। मामले की सुनवायी करते हुए एडीजे न्यायाधीश ने निर्णय सुनाते हुए कुतुबुद्दीन कानोड़ावाला के वाद को खारिज करते हुए उपकार मसालें के नाम को जाकिर हुसैन को उपयोग करने की छूट दी।

अन्य अधिवक्ता सुशील कोठारी ने बताया कि उपकार फर्म के बंटवारें का वाद न्यायालय में वर्ष 2013 से विचाराधीन है।

जाकिर हुसैन के पुत्र हकीमुद्दीन कानोड़वाला ने बताया कि 1979 में उनके पिता जाकिर हुसैन ने वर्ष 1979 में उपकार कंपनी की स्थापना की थी तब से यंह कंपनी उनके पिता द्वारा ही संचालित की जा रही थी लेकिन लगभग 12 वर्ष पूर्व उनके चाचा कुतुबुद्दीन कानोडवावला ने जाली हस्ताक्षर कर यह कंपनी अपने नाम करते हुए अपने बड़े भाई को उपकार कंपनी से बाहर करने का वाद दायर कर दिया।

न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनते हुए अपने पिता जाकिर हुसैन कानोड़ावाला के हक मे ंफैसला देेते हुए उपकार मसालें के नाम के उपयोग करने की छूट दी है।

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