वाइल खुलने के 4 घंटो में ख़राब हो जाती है कॉरबीवेक्स वैक्सीन – बच्चो को नहीं लग पा रही दूसरी डोस
प्रशासन द्वारा युद्धस्तर पर की गई कोरोना वेक्सिनेशन ड्राइव काबिले तारीफ रही पर 12 से 14 वर्ष तक के बच्चो को लगने वाली वैक्सीन कॉरबीवेक्स की सिमित उपलब्धता से बच्चे और अभिभावकों को हो रही समस्या का निवारण होते नहीं दिख रहा.
कोविंन पोर्टल पर जिन हेल्थ सेंटर पर कॉरबीवेक्स की उपलब्धता दिखाई जा रही है असल में वहां जाने पर पता चलता है कि वे सिर्फ सप्ताह में एक ही दिन कॉरबीवेक्स लगाते है. स्कूलों ने ग्रीष्मकालीन अवकाश से पहले अपने अपने स्कूल लेवल पर वैक्सीन कैंप करवा बच्चो को पहली डोस लगवा दी, अब दूसरी डोस के लिए न कोई सही जानकारी मिलती है और न स्वास्थ केन्द्रों पर वेक्सिन. अभिभावक बच्चों को लेकर स्वास्थ्य केन्द्रों पर भटकते रहते है.
गर्मी की छुट्टीयों में जिन परिवारों को बहार घुमने जाना हो उनके बच्चो को कॉरबीवेक्स नहीं लगने से यात्रा ही निरस्त करनी पड़ रही रही है.
आरसीएचओ डॉ अशोक आदित्य बताते है कि कॉरबीवेक्स के साथ एक समस्या यह है कि यह वैक्सीन 20 डोज़ की वायल में आती है और इसको खोलने के बाद इसकी लाइफ 4 घंटो की होती है यदि बीस की बीस वैक्सीन इस्तेमाल नहीं हुई तो सारे बेकार हो जाती है इसलिए स्वास्थ्य केन्द्रों पर डोस तभी ओपन करते है जब 15-20 बच्चो की लिस्ट तैयार रहे इसलिए हर सेंटर पर बच्चो के नाम और फ़ोन नम्बर लिखे जा रहे ताकि एक साथ एक ही दिन में 20 वैक्सीन लगा दी जाए.
एक अभिभावक ने बताया कि जिस तरह पहले कोविड वेक्सिनेशन सेंटर की डिटेल मीडिया के द्वारा मिल जाया करती थी उसी तरह कॉरबीवेक्स कब कहा लगाईं जाएगी इसकी जानकारी भी मिलती रहे तो हमे एक सेंटर से दूसरे सेंटर भटकना न पड़े.
स्कूलों के पास बच्चो का डेटा होता है, आजकल सभी स्कूलों में व्हाट्सएप ग्रुप भी है जिनमे अभिभावक और बच्चे जुड़े हुए है, तो क्या स्वास्थ्य विभाग स्कूलों के साथ कोआर्डिनेट कर के स्कूल में ही सेकंड डोज़ नहीं लगा सकता है?.