उदयपुर की झीलों के लिए सिर्फ लकड़ी की नावें उपयुक्त, झील संरक्षण समिति ने पेश की नाव सञ्चालन की ड्राफ्ट निति

 उदयपुर की झीलों के लिए सिर्फ लकड़ी की नावें उपयुक्त, झील संरक्षण समिति ने पेश की नाव सञ्चालन की ड्राफ्ट निति

झील संरक्षण समिति ने दिनांक  19 सितंबर को जिला कलक्टर के समक्ष झीलों मे नाव संचालन की ड्राफ्ट नीति को प्रस्तुत किया गया। ड्राफ्ट मे पक्षियों, मछलियों व स्वयम झीलों के इस मुद्दे पर क्या कहना है, यह प्रमुखता से व्यक्त किया गया।

यह देश के इतिहास मे संभवतया पहली बार होगा कि मछलियों, पक्षियों व जल स्रोत ने अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से अपने विचार, पीड़ाएं व सुझाव रखे।

ड्राफ्ट मे अनुशंषाएं हैं कि पेयजल की व पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील झीलों में केवल चप्पू वाली नावें ही चले, समिति ने बताया कि उदयपुर जैसी झीलों में लकड़ी की नावें सर्वाधिक उपयुक्त हैं, झीलों में नाव की अधिकतम साइज गणगोर बोट से अधिक नहीं हो। पेयजल की व पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील झीलों में झील क्षेत्र जो ऍफ़ टी एल पर है , उसके 10 प्रतिशत क्षेत्र में ही नावों के संचालन की अनुमति हो। ऍफ़ टी एल व एम् डब्लू एल के बीच के (लिटोरल ज़ोन)  क्षेत्र में न्यूनतम मानव गतिविधि हो, वंहा नाव नहीं जाएँ।

ड्राफ्ट में अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर भी विचार किया गया जिसमे

  • अधिकतम एक नाव प्रति 15 एकड़ अनुमत हो (15 एकड़ अर्थात 0.06 वर्ग किलोमीटर )
  • ·जिन होटलों के पास सड़क मार्ग है, उन्हें किसी भी हालत में नाव परिवहन की अनुमति नहीं हो
  • बोट एक्ट में पर्यावरणीय व मानव रक्षा, जीव रक्षा के प्रावधान डाले जाएँ
  • नाव का परिभ्रमण क्षेत्र निर्धारित करने के लिए फ्लोट लगाये जाएँ

 उदयपुर की झीलों के लिए नावों की संख्या 

पिछोला : अधिकतम भराव तल पर जल फैलाव एरिया : 6.96 वर्ग किलोमीटर

ऍफ़ टी एल पर जल फैलाव  एरिया : 4.5 वर्ग किलोमीटर

अधिकतम नावों की संख्या : 4.5 वर्ग किलोमीटर का दस प्रतिशत अर्थात 0.45 वर्ग किलोमीटर, एक नाव के लिए 0.06 वर्ग किलोमीटर के अनुपात में कुल नावें : 8 नावें, एक रेस्कु बोट अतिरिक्त

फतेहसागर : अधिकतम भराव तल पर जल फैलाव  एरिया : 4.5 वर्ग किलोमीटर

ऍफ़ टी एल पर जल फैलाव  एरिया : 2.9 वर्ग किलोमीटर

अधिकतम नावों की संख्या 2.9 वर्ग किलोमीटर का दस प्रतिशत अर्थात 0.29 वर्ग किलोमीटर, एक नाव के लिए  0.06 वर्ग किलोमीटर के अनुपात में कुल नावें : 5 नावें , एक रेस्कु बोट अतिरिक्त

जेट्टी : पुराने ज़माने में बने नाव घाटों की तरह के नाव घाट विकसित हो।

जिला कलेक्टर को तेज शंकर पालीवाल, डॉ तेज राज़दान, डॉ अनिल मेहता, नंद किशोर शर्मा, महेश शर्मा,  प्रो आर सी पुरोहित, नासिर खान, द्रुपद सिंह, कुशल रावल, पुष्कर डांगी ने ड्राफ्ट प्रस्तुत किया। तथा विस्तार से ड्राफ्ट के हर बिन्दू को स्पष्ट किया।

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