कई जिस्मों में जिंदा रहने की साधनाः रक्तदान

 कई जिस्मों में जिंदा रहने की साधनाः रक्तदान

लेखक –  भगवान प्रसाद गौड़ ( सामाजिक विचारक एवं पत्रकार, उदयपुर )        

विज्ञान ने सबकुछ बना लिया, चांद -तारों तक उसकी पहुंच है। लेकिन वो आजतक नहीं बना सका और शायद बना भी नही पायेगा, वह है -रक्त। कोई ऐसी मशीन नहीं बनी जिससे खून बनाया जा सके ऐसे में जरूरत पड़ने पर एक इंसान का खून ही दूसरे को चढ़ाया जाता है।

यह कहना गलत नहीं है कि रक्त अमूल्य है मनुष्य जीवन के लिये। खून के बिना शरीर मांस और हड्डियों से बना सिर्फ एक कंकाल रह जाता है। खून की कमी से व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है। इस कमी को दूर करने के लिए हर साल लाखों-करोड़ो लोग रक्तदान करते हैं। बावजूद इसके रक्तदान को लेकर जितनी जागृति होनी चाहिये उतनी हुई नहीं है।

रक्तदान को लेकर लोगों के मन में गलत धारणाएं आज भी मौजूद हैं। वे ऐसा सोचते है कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती हंै और फिर कई बीमारियां लग सकती हैं। जिसे मेडिकल साइंस ने सिरे से खारिज किया हैं। रक्तदान हम सभी की सामूदायिक जिम्मेदारी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में जाने वाले सात लोगों में से लगभग एक व्यक्ति को खून की जरूरत होती हैं। कई बार खून न मिलने से जान जाने से कई परिवार संकट में आ जाते हैं।

अमेरिका जैसे विकसित देश में भी रक्तदाताओं की कमी एक बड़ी समस्या है। अमेरिकन रेडक्रास के मुताबिक यूएस में हर दो सैकण्ड में किसी न किसी को खून की जरूरत पड़ती है। जनवरी 2022 में अमेरिकन रेडक्रास ने बताया कि ओमिक्राॅन उछाल के बीच एक दशक में रक्त उपलब्धता की सबसे खराब स्थिति रही। वहीं भारत में आबादी का केवल 37 प्रतिशत हिस्सा ही रक्तदान करने योग्य है। उसमे से भी 10 प्रतिशत से कम लोग ही हर साल रक्तदान करते हैं।

रक्त प्रकृति प्रदत्त सबसे मूल्यवान उपहार है। हम इसके माध्यम से लोगों की मदद कर सकते हैं। रक्तदान शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता बल्कि इससे स्वास्थ्य की दृष्टि से कई लाभ होते हैं।

स्वस्थ व्यक्ति कब व कितनी बार कर सकता है दान – स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक एक स्वस्थ इंसान को हर तीन महिने में रक्तदान करना चाहिए। शरीर में 90 से 120 दिन के अन्दर रेड ब्लड सेल्स स्वतः खत्म हो जाते है और नये सेल्स बन जाते हैं। ऐसी स्थिति में रक्तदान से कोई नुकसान नहीं है और वह किसी भी मौसम में किया जा सकता हैं।

रक्तदान – श्रेष्ठदान

सहनशीलता बढ़ाने में उपयोगी – मोटापे और अधिक वजन से परेशान लोगों के रक्तदान करने से उनका वजन कम होता है। रक्तदान से सहनशक्ति भी बढ़ती हैं। रक्तदान से पहले डाॅक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि – स्वास्थ्य के लिये रक्तदान लाभकारी है। जब कोई व्यक्ति डायलिसिस या रक्तदान से गुजरता है, तो प्लीहा, लाल रक्त कोशिकाओं के लिए जिम्मेदार अंग पूरी तरह से नई एनर्जी के साथ काम करने लगते हैं। रक्त प्लाज्मा में भी ल्यूकोसाइट्स की वृद्धि होती है। जो हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाएं हैं। ये हमें कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचाती हैं।

हृदय रोग का खतरा होता है कम – नियमित रक्तदान करने से शरीर में आयरन का स्तर नियंत्रित रहता है। रक्त में आयरन की उच्च मात्रा धमनियों को ब्लाॅक करने लगती हैं। जिससे रक्तसंचार ठीक प्रकार से नहीं हो पाता और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।  रक्तदान से हृदय रोग की संभावना घट जाती है।

नहीं होता है कैंसर – खून में आयरन जमा होने से ब्लड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है लेकिन रक्तदाताओं को शरीर में आयरन के जमाव से छुटकारा मिलने लगता है।

मेंटल हेल्थ के लिये लाभकारी – रक्तदान के यंू तो कई लाभ है लेकिन बड़ा लाभ मनोवैज्ञानिक है। जब आप रक्तदान करते हैं तब मन में एक सुखद अनुभूति होती हैं। आपके रक्तदान से किसी को कहीं न कहीं जीवनदान मिल जाता है। आपात स्थिति में किसी की जान बचाने की आपकी खुशी अद्भुत होती है। इस मदद से मेंटल हेल्थ में सुधार होता ही है इससे व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत भी बनता है।  

रक्तदान न केवल महादान है, बल्कि कई घरों के बूझते चिरागों को ज्योर्तिमय करने का पुण्य अवसर और कई लोगों को प्राणदान देते हुए उनके दिलों में अपने को जिंदा रखने की साधना हैं।

लेखक –  भगवान प्रसाद गौड़ सामाजिक विचारक एवं पत्रकार, उदयपुर        

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