‘उड़ान’, ‘कंजुस’ और ‘लुका-छुपी’ के मंचन के साथ नाट्य कार्यशाला तराश 2022 का समापन

 ‘उड़ान’, ‘कंजुस’ और ‘लुका-छुपी’ के मंचन के साथ नाट्य कार्यशाला तराश 2022 का समापन
  • 23 दिवसीय नाट्य कार्यशाला में तीन नाट्य प्रस्तुतियों का मंचन
  • 55 प्रतिभागीयों ने लिया था भाग, सभी को प्रमाण पत्र प्रदान किये गये

उदयपुर की नाट्य संस्था ‘नाट्यांश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परर्फोमिंग आर्ट्स’ द्वारा आयोजित 23 दिवसीय नाट्य कार्यशाला ‘‘तराश 2022’’ का समापन कल शनिवार को किया गया। यह कार्यशाला शहर के दो स्थानों पर आयोजित की गई जिसमें 55 प्रतिभागीयों ने भाग लिया। सभी के लिए रंगमंच और रंगमंच के लिए सभी। इसी बात को ध्यान में रखकर, नाट्यांश ने ऐसे बच्चों के साथ रंगमच कार्यशाला का आयोजन किया है जो समाज की मुख्यधारा से वंचित हैं। इन बच्चों के साथ उनके उच्चारण, शारिरिक अभिनय, संवाद अदायगी, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और मनोवैज्ञानिक, शारीरिक एवं कल्पनाओं के विकास पर कार्य किया गया।

कार्यशाला के समापन के अवसर पर मोहम्मद रिज़वान मंसुरी द्वारा लिखा और निर्देशित नाटक ‘‘उड़ान’’, मोलियर द्वारा लिखित नाटक ‘द माईजर’ का हिन्दी रूपांतरण ‘‘कंजुस’’ और विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखत नाटक ‘कॉमेडी ऑफ एरर्स’ का हिन्दी रूपांतरण ‘‘लुका-छुपी’’ का मंचन किया गया। इन तीनो नाटकांे को मात्र 23 दिनों में प्रतिभागीयों के द्वारा तैयार किया गये।

कार्यक्रम में सबसे पहले मोहम्मद रिज़वान मन्सुरीद्वारा लिखित और निर्देशित नाटक उड़ान का मंचन किया गया। यह नाटक बाल मजदुरी को केन्द्र में रख कर तैयार किया गया है। बचपन वो वक्त होता है जब हम कोई भी सपना रच सकते हैं और सोच सकते हैं हम किस दिशा में उड़ान भरना चाहते हैं। इस समाज का एक कडवा सच यही भी है कि आज भी बच्चो की तस्करी और बाल मजदूरी होती है। यह नाटक एसी ही परिस्थतियों पर बात करता है जिसमें बचपन कि आहूति दे दी जाती है और ये बच्चे इन कठिन परिस्थिति के बावजूद अपने सपनो और बचपन को जिन्दा रखते है। मज़दुरी करते इन बच्चों में कोई डांसर बनना चाहता है, तो कोई पुलिस बनकर अपने हालातों को सुधारना चाहते है। मुश्किल परिस्थितियों में भी बच्चे हिम्मत नहीं हारते और अपने सपनो की उड़ान को जारी रखते हैं। इस नाटक में ‘अपना जतन केन्द्र’ के बच्चों अभिनय किया है।कोमल श्रीवास्तव, विद्या कुंवर झाला, विजय मीणा, चिराग वर्मा, दीप्ति श्रीवास्तव, अशोक मीणा, मोनिका मीणा, हेमलता कुंवर, अमृता मीणा

किरन कुंवर पंवार, हर्षिता कुंवर, महीपाल सिंह पंवार, प्रीत भाट, करन सिंह पंवार, मधु मीणा, निरमा कुमारी, दिव्या कुंवर, राजवीर सिंह झाला ने अभिनय किया।

इसी कार्यशाला में तैयार दुसरी प्रस्तुती मोलियर द्वारा लिखित नाटक कंजुस का मंचन किया गया। इस नाटक को अशफ़ाक़ नुर खान ने निर्देशित किया। यह नाटक 60 साल के मिर्ज़ा साहब की कंजुसी और आशिकी पर आधारित है। वो शहर के एक बहुत दौलतमंद व्यक्ति है जो ब्याज पर पैसा चलाते है, लेकिन खर्च के मामले में इतने कंजूस कि मेहमानों को पानी भी सोच समझकर पिलाते हैं। रिश्तों से ज्यादा उन्हे दौलत से प्यार है। इसीलिए वो अपनी बेटी अजरा का निकाह 50 वर्ष के असलम साहब से और बेटे फरुख का निकाह एक बेवा से करावाकर खुद जवान लड़की मरियम से निकाह करना चाहते है। अजरा, नासिर से मोहब्बत करती है और फरूख उस लड़की से मोहब्बत करता है जिससे मिर्जा साहब भी निकाह करना चाहते हैं। इश्क, मोहब्बत, कंजूसी और मिर्जा साहब के यहाँ हुई चोरी के उतार-चढ़ाव से गुजरती यह कहानी कई हास्यास्पद स्थितियाँ पैदा करते हुये दर्शकों को गुदगुदाती है। इस नाटक में बतौर कलाकार यश शाकद्वीपीय, महावीर शर्मा, आस्था नागदा, भुवन जैन, प्रेम देसाई, निशा गौड़, नविका तलरेजा, ईशान कोठारी, जतिन कौशल, कुशाग्र राजन, लक्षिता सुखववाल, नवश्री पालीवाल, केवल्य जैन, हीरल गौड़, जसवंत, सौरंश्वी, जॉय, अक्षील जैन व धानी कुमारी ने अपने अभिनय किया।

तीसरे नाटक में विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित अंग्रेजी का प्रसिद्ध नाटक ‘कॉमेडी ऑफ़ एरर्स’ का हिन्दी रूपान्तरण ‘लुका-छुपी’ का मंचन किया। इस नाटक का निर्देशन रेखा सिसोदिया ने किया है। यह नाटक की कहानी जुड़वाँ बच्चों के दो जोड़ों पर आधारित है जो बचपन में बिछुड़ जाते हैं। जब वे बड़े होकर मिलते हैं तो बेहद हास्यप्रद परिस्थितियां पैदा होती हैं। संयोगवश दोनो आनन्द और दोनो वीर एक ही शहर में आ मिलते है। जिससे ऐसी उलझी हुई और अनेक हास्यप्रद परस्थितियों उत्पन्न होती हैं। जब दोनों जोड़ियों का आमना-सामना होता है तभी सभी को वास्तविकता का पता चलता है। इस नाटक में बतौर कलाकार मुकुल खंडिया, भुवन जैन, नमन, महावीर शर्मा, प्रणय जोशी, उर्वशी कंवरानी, निर्मिता कुमावत, पूजा शर्मा, दीपक जोशी, जावेद खान, अंजू सोनी, जोमी जोजो, रिया नागदेव, हर्ष दूबे व गोरांग व्यास ने अभिनय किया।

मंच पार्श्व में संगीत संयोजन व संचालन -ईशा जैन, प्रकाश संयोजन एवं संचालन – अशफाक नुर खान और मंच निमार्ण व व्यवस्था में मोहम्मद रिजवान मंसुरी का रहा। इस नाट्य कार्यशाला को सफल बनाने में योगिता सिसोदिया, तौफिक मोहम्मद, पियुष गुरूनानी, रतन सेठिया और बृजेश ख़़़त्री का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।

कार्यक्रम संयोजक मोहम्मद रिज़वान मंसुरी ने बताया कि ‘‘इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष श्री अशफाक नुर खान ने सभी प्रतिभागीयों को प्रमाणपत्र प्रदान किये।

Related post