आशंका — उदयपुर बन जायेगा विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित शहर

 आशंका — उदयपुर बन जायेगा विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित शहर

उदयपुर मे पर्यटन को पर्यावरणीय सहनीय सीमा के भीतर लाना होगा। अन्यथा हवा, पानी, मिट्टी सभी जहरीले बन जायेंगे। यह चिंता रविवार को आयोजित पर्यावरण संवाद मे उभरी।

संवाद मे डॉ अनिल मेहता ने कहा कि, टूरिस्ट वाहनो की संख्या निरंतर बढ़ रही है। ऐसे मे यह खतरा है कि दिल्ली की तरह यंहा भी वायु प्रदूषण जहरीले स्तर तक पंहुच जाए। पर्यटन सुविधाओं के नाम पर पहाडों को काट रिज़ॉर्ट होटल बन रहे हैं, झीलों के किनारे खत्म हो गए हैं। पॉलीथीन प्लास्टिक का अंधाधुंध उपयोग व फिर झीलों व जमीन पर इसका विसर्जन जारी है। यह सब मिल उदयपुर को विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बना देंगे।

तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि, झीलों मे डीजल पेट्रोल नावों का रैला है तो सड़कों पर टूरिस्ट कारों की रेलमपेल। उपर हवा मे हेलिकोप्टर मंडराता है। पशु पक्षी इंसान सभी पीड़ित हो रहे हैं। समय आ गया है कि हम उदयपुर मे पर्यटन विकास को पर्यावरण के मापदंडों के आधार पर तय करें।

नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि, पहाडों की कटाई पर्यटन जनित प्रदूषण की समस्या को और विकराल बना रही है। पहाडों को निर्माण से मुक्त करना होगा ताकि वे शुद्ध बरसाती जल को झीलों मे भेज सके। पेडों को बचाना होगा ताकि वे वाहनो के धुंए से हवा को बिगड़ने से बचा सके।

कुशल रावल ने कहा कि, शहर मे पर्यटन वाहनो पर पूर्ण रोक होनी चाहिए । पर्यटक आवगमन के लिए इलेक्ट्रिक ऑटो शुरू होने चाहिए। झीलों मे चप्पू या सौर ऊर्जा संचालित नियंत्रित नावे ही होनी चाहिए।

संवाद पश्चात पिछोला अमरकुण्ड पर श्रमदान कर झील क्षेत्र से शराब, पानी की बोतलें, रद्दी कागज़,घरेलू कचरा, धार्मिक सामग्री व बदबू मारती खाद्यसामग्री निकाली गई।

श्रमदान में मोहनसिंह चौहान,द्रुपद सिंह सहित उपस्थित झील प्रेमियों ने सहभागिता की।

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