सिंघानिया लॉ कॉलेज में हुआ मूट कोर्ट का आयोजन
संविधान के आधारभूत ढांचे में बदलाव नहीं किया जा सकता-सुप्रीम कोर्ट
सिंघानिया लॉ कॉलेज में मूट कोर्ट का आयोजन किया गया। संस्था के निदेशक डॉ. अशोक आचार्य ने बताया कि मूट कोर्ट के प्रायोगिक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्धारित केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के प्रकरण पर मूट कोर्ट का आयोजन किया गया जिसमें बहुमत से निर्णय दिया गया कि संविधान संशोधन करने की असीम शक्ति होते हुए भी संविधान के आधारभूत ढांचे में बदलाव नहीं किया जा सकता है।
मूट कोर्ट के इस प्रायोगिक कार्यक्रम में मुख्य न्यायमूर्ति की भूमिका देवेन्द्र कुमार नागदा ने निभाई एवं केशवानंद भारती अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता के रुप में राकेश जोशी और सहायक अधिवक्ता के रुप में खेतदान तथा राज्य की ओर से अधिवक्ता के रुप में खुशबू खंडेलवाल और सहायक अधिवक्ता के रुप में इशरत ने पैरवी की।
मूट कोर्ट का यह प्रायोगिक कार्यक्रम हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत प्रथम वर्ष की छात्रा रूबीना ने उक्त प्रकरण के तथ्यों का सार-संक्षेपण प्रस्तुत किया तथा कार्यक्रम के अंत में प्रथम वर्ष की छात्रा गजाला अंजुम ने समान नागरिक संहिता के महत्व से सभी को अवगत कराया।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. भूपेन्द्र कुमावत ने बताया कि मूट कोर्ट का आयोजन विधि विद्यार्थियों के लिए अत्यंत आवश्यक है जिससें विधि विद्यार्थियों को कोर्ट की कार्यवाही को व्यवहारिक रुप से अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है साथ ही विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास हेतु आवश्यक है।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज के प्राचार्य ने दिया और कार्यक्रम में कॉलेज के समस्त शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित थे।