सुविवि- प्राणी शास्त्र विभाग में आईआईटी कानपुर एवं यूरोपीय देशो से आये वैज्ञानिको ने शुरू किया शोध कार्य
उदयपुर । सुखाड़िया विश्वि विद्यालय (सुविवि ) के प्राणी शास्त्र विभाग की जनस्वास्थ्य किटविज्ञान प्रयोगशाला में जर्मनी से डॉ थॉमस, यूके से डॉ लेना, आइसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ घोष एवम आईआईटी कानपुर के शोधार्थी कार्तिक ने अपना शोध कार्य प्रारंभ किया।
विभागाध्यक्ष एवम प्रयोगशाला इंचार्ज प्रो आरती प्रसाद ने बताया कि गत जुलाई में विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन से जनस्वास्थ्य किटविज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं के मध्य प्राणी शास्त्र विभाग ने एक अभूतपूर्व पहचान कायम की है जिससे विभाग के कार्यो की कीर्ती अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रहे वैज्ञानिकों तक पहुँची एवम उन्होंने विभाग के कार्यो को सराहा।
इसी से प्रभावित होकर अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों का यह दल विभाग में शोध कार्य करने हेतु आया हुआ है। प्रो प्रसाद ने बताया कि यह दल 5 सितम्बर को उदयपुर पहुंचा एवम उन्होंने उस दिन राजकीय अवकाश होने के कारण प्रो प्रसाद से व्यक्तिगत मुलाकात कर विभाग में चल रहे कार्यो पर चर्चा की।
दूसरे दिन 6 सितम्बर को दल ने विभाग का दौरा कर विभाग में चल रहे कार्यो के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त की।
इसके पश्चात उन्होंने विभाग के शिक्षकों से संवाद कर विभाग के साथ साझे में किए जा सकने वाले कार्यो पर मंथन किया। ततपश्चात दल ने विज्ञान महाविद्यालय अधिष्ठाता प्रो सी पी जैन से मुलाकात की। जहां प्रो सी पी जैन ने उनका स्वागत सत्कार कर उनके कार्य हेतु विभाग के चयन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए दल को विभाग पर विश्वास जताने हेतु धन्यवाद प्रेषित किया तथा उनके साथ मन्त्रणा कर साझे में शोध कार्य की सम्भावनाओ पर मंथन किया तथा उन्हें महाविद्यालय की तरफ से हरसंभव सहायता की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
दौरे के तीसरे दिन 7 सितम्बर को दल ने विभाग के शोधार्थियों के साथ उदयपुर शहर के आस पास के गांवों में मलेरिया रोगवाहक एनोफिलीज मच्छर का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के दौरान उन्होंने उदयपुर में पायी जाने वाली मच्छरों की प्रजातियों, उनकी रोकथाम के प्राकृतिक तरीको तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा रोगवाहक मच्छरों की रोकथाम हेतु किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी एकत्रित की तथा एनोफिलीज मच्छरों की वयस्क एवम लार्वा अवस्था का संग्रहण किया।
प्रो प्रसाद ने बताया कि ये वैज्ञानिक मुख्यतया मलेरिया रोग के मुख्य वाहक मच्छर एनोफिलीज स्टीफेंसाइ के हाइड्रोकार्बन पर शोध कार्य करने हेतु प्राणी शास्त्र विभाग में आए है।
यह दल 10 सितम्बर तक उदयपुर में अपना शोध कार्य करेगा।