मुख्यमंत्री की उपस्थिति में टीआरआई एवं आईआईएचएमआर के मध्य हुआ एमओयू
श्रीअन्न पोषण अभियान में पांच पिछड़े ब्लॉक्स का हुआ चयन
उदयपुर, 4 मई। मुख्यमंत्री श्री अषोक गहलोत के उदयपुर प्रवास के दौरान टीआरआई एवं आईआईएचएमआर के मध्य श्रीअन्न पोषण अभियान के संबंध में एक एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। एमओयू हस्ताक्षर के दौरान मुख्यमंत्री की उपस्थिति में संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट, जिला कलक्टर ताराचंद मीणा, टीआरआई निदेशक श्रीमती अंजलि राजोरिया, आईआईएचएमआर की सह आचार्य डॉ. वर्षा तनु उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने मिलेट को बढ़ावा देने के लिए टीएडी विभाग द्वारा शुरू किए गए इस नवाचार की तारीफ की और कहा कि इससे इस अंचल में कुपोषण को दूर करने में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने इस अभियान की सफलता की कामना की।
इस मौके पर श्रीमती राजौरिया ने बताया कि इस एमओयू के तहत राज्य के उदयपुर जिले में नवाचार के तौर पर श्री अन्न पोषण अभियान के तहत उदयपुर के पांच पिछड़े ब्लॉक का चयन किया गया है, जिसमें 5-5 पंचायतों के अंतर्गत आने वाले सभी आंगनवाड़ी केंद्र, मां-बाड़ी केंद्रों पर गर्भवती एवं धात्री महिलायें तथा 12 वर्ष से कम आयु वाले सभी बच्चों को उनको प्राप्त हो रहे पोषाहार के अलावा मिलेट के बने लड्डू एनर्जी बार, नमकीन इत्यादि व्यंजन रोज खिलाया जाएगा। इसके तहत 500 से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मिलेट के विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाएगा। जिसके बाद मां और बच्चों के पोषण में आये बदलाव को निरंतर रिकॉर्ड किया जाकर प्रभावों का अध्ययन शोध एजेंसी द्वारा किया जाएगा। इस अभियान में लगभग 18000 लाभार्थियों को जोड़ा जाएगा।
इससे पूर्व जनजाति विकास विभाग के आयुक्त राजेन्द्र भट्ट ने इस अभियान के क्रियान्वयन के लिए टीएडी द्वारा किए जा रहे प्रयासांे की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अभियान क्रियान्वयन की अवधि वर्तमान में 6 माह रखी गयी है एवं शोध की अवधि एक वर्ष की रहेगी। इस क्रियान्वयन तथा शोध में जयपुर की आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, उदयपुर को सहयोग करेगी।
गौरतलब है कि मोटे अनाज (मिलेट), जिसे अनेक अनुसंधानों के उपरांत एक पोष्टिकता की दृष्टि से सुपर फूड का दर्जा मिला है, उसे लोकप्रिय बनाने का भारत का प्रयास विश्व भर में चर्चा में है। यही वजह है कि मार्च 2023 में इस संबंध में भारत के प्रस्ताव के बाद, 72 देशों के समर्थन के साथ संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय किया है। भारत अपने पारम्परिक तथा पौष्टिक मोटे अनाज के उपभोग को हर स्तर पर बढ़ावा देने का कार्य विभिन्न संगोष्टियों और कार्यक्रमों के माध्यम से निरंतर प्रयासरत है।